भंडारा जिले के लखनी तालुका में आने वाले खोलमारा के अमृत मदनकर तीन एकड़ जमीन में करेले की खेती कर लखपति बन गए हैं. पारंपरिक कृषि को तोड़ते हुए करेले की मीठी कहानी पर एक विशेष रिपोर्ट.
भंडारा जिले के लखनी तालुका में आने वाले खोलमारा के अमृत मदनकर को कभी आसमानी तो कभी सुल्तान के सूखे के साये में पारंपरिक धान की खेती (Farming) करनी पड़ती थी. उनका प्रोडक्शन कम और लागत ज्यादा थी. हालांकि, इस किसान ने थके बिना कृषि (Agriculture) विभाग की सलाह मानकर धान की पारंपरिक खेती को छोड़कर बागवानी (Horticulture) की ओर रुख किया और तीन एकड़ के खेत में आधुनिक तरीके से करेले की खेती की और आय अर्जित की. एक साल में करीब दस लाख रुपए.
खुद सरकार ने किया सम्मानित
इतना ही नहीं, वे करेले के साथ-साथ खीरा, वल्या की फली, चंदन, गाजर और अन्य पत्तेदार सब्जियों से भी आय अर्जित कर रहे हैं. उनके काम को देखते हुए सरकार ने उन्हें प्रगतिशील किसान के रूप में सम्मानित भी किया है.
क्यों खास है करेला?
करेले में एक अनोखा कड़वा स्वाद होता है. करेले को दुनिया के कई हिस्सों में कड़वे तरबूज के रूप में भी जाना जाता है. करेला (Bitter Gourd) भारत में सबसे लोकप्रिय सब्जियों में से एक है. भारत में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. करेले में कई अच्छे औषधीय गुण भी होते हैं.