Wheat Prices: 1 और 2 फरवरी को हुई पहली ई-नीलामी के दौरान FCI ने 25 लाख टन में से 9.26 लाख टन गेहूं व्यापारियों, आटा मिलों आदि को बेच चुका है. अगली नीलामी 15 फरवरी को होगी.
बाजार में फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के स्टॉक को उतारने के बाद भी गेहूं की कीमत उच्च बनी हुई हैं. ऐसे में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने माल ढुलाई शुल्क को खत्म करने और ई-नीलामी के जरिए पूरे भारत में बल्क यूजर्स को 2,350 रुपये प्रति क्विंटल के रिजर्व मूल्य पर अनाज बेचने का फैसला लिया है. इसके अलावा, सरकार ने NAFED, FCI और केंद्रीय भंडार जैसे संस्थानों को दिए जाने वाले एफसीआई के गेहूं की कीमत 23.50 रुपये से कम करके 21.50 रुपये प्रति किलो कर दी है. इन्हें अनाज को आटे में बदलकर ज्यादा से ज्यादा 29.50 रुपये प्रति किलो की रिटेल कीमत पर बेचने के लिए गेहूं की पेशकश की जा रही है. अब उन्हें 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर इसे बेचने के लिए कहा गया है.
बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार का बड़ा फैसला
इस संबंध में फैसला खाद्य मंत्रालय की ओर से अपने फाइनेंस समकक्ष के परामर्श से लिया गया है. पिछले महीने, सरकार ने गेहूं और गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत अपने बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने की योजना की घोषणा की थी. 30 लाख टन में से एफसीआई ई-नीलामी के माध्यम से आटा चक्की जैसे बल्क यूजर्स को 25 लाख टन बेचेगा, 2 लाख टन राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों को और 3 लाख टन संस्थानों और राज्य को गेहूं को आटे में बदलने के लिए पीएसयू रियायती दरों पर दिया जाएगा.
इस संबंध में खाद्य मंत्रालय ने कहा था कि ओएमएसएस नीति की घोषणा के बाद, भारत सरकार ने देखा है कि गेहूं का मार्केट प्राइस अब भी बहुत ज्यादा है. यह भी देखा गया है कि ओएमएसएस के तहत नीलामी के लिए बेस प्राइस में माल भाड़े को शामिल करने की वजह से पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश से दूर राज्यों में नीलामी की दरें बहुत ज्यादा हैं.