गन्ने के बीच दूसरी फसलों की बुवाई से किसानों के लिए मुनाफा बढ़ रहा है इसके साथ ही किसानों को दलहन तिलहन से लेकर पशुपालन तक साथ में अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
भारत एक कृषि प्रधान देश है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान मुख्य तौर से गन्ना, गेहूं व धान की फसल उगाने के लिए देश भर में प्रसिद्ध है. आज भी अधिकतर किसानों की प्राथमिकता गन्ना गेहूं व धान की फसल को उगाने की ही रहती है, लेकिन समय के बदलाव के साथ अब खेती में तकनीकी आधार पर अन्य तरह की फसलों का उत्पादन भी किसानों ने शुरू कर दिया है. जनपद सहारनपुर के नंदी फिरोजपुर गांव के किसान सेठ पाल सिंह ने काफी समय से तकनीकी आधार पर खेती करना शुरू किया था. सरकार द्वारा उन्हें पद्म श्री अवार्ड से भी नवाजा गया है. किसान सेठपाल सिंह कृषि विभाग के विभिन्न मेलों का कार्यक्रमों में सक्रिय रहते हैं.
किसान नेता की प्रेरणा से मिला तकनीकी खेती करने का हौसला
पद्म श्री सेठपाल सिंह ने बताया कि वर्ष 1995 के दौर में हम मुख्य तौर पर गन्ना, गेहूं, धान की फसल लगाते थे तब हमारे एक परिचित किसान नेता इंद्रपाल सिंह तोमर ने हमें कृषि विविधीकरण के अंतर्गत परंपरागत फसलों को छोड़कर तकनीकी रूप से खेती करने का सुझाव दिया. सेठ पाल सिंह ने बताया तब हमने पहली बार फ्रेंचबीन को अपने खेत में लगाया औऱ उसकी देखभाल पर ध्यान दिया. उन्होंने बताया कि जब फ्रेंचबीन में कीट पतंगों व खरपतवार ने असर दिखाया तो एग्रीकल्चर विभाग, कृषि विभाग व मुख्य रूप से कृषि विज्ञान केंद्र ने हमारी सहायता की. फलस्वरूप हमे फसल में अच्छा उत्पादन मिला.
किसान सेठ पाल सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों के सम्पर्क में आने के बाद उन्होंने हमें खेती के बहुत तरीकों से अवगत कराया. साथ ही किसान मेलों, किसान गोष्ठी, सेमिनार, किसान प्रशिक्षण के कार्यक्रमों में आमन्त्रित कर हमें सरकार की कृषि से सम्बंधित योजनाओ से अवगत कराया. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार किसान मित्र योजना में मुझे किसान मित्र नियुक्त कर ट्रेनिंग दी गयी. किसान मित्र रहने के दौरान कृषि विभाग की ओर से अयोजित किसान मेलों, यूनिवर्सिटी, आईसीआर, एमडीआरआई आदि जगह जगह होने वाले कार्यक्रमो के माध्यम से तकनीकी खेती के विषय मे जानकारी मिली. उन्होंने बताया कि अच्छी जानकारी के बाद हमने अपनी पूरी खेती को कृषि विविधीकरण के अंतर्गत करना शुरू किया.