अलवर मंडी में गुजरात से प्याज आ रहे हैं. गुजरात के किसान 3 से 4 रुपये किलो प्याज मंडी में बेचने के लिए मजबूर हैं. वही अलवर की बात करें तो 7 रुपये से 8 रुपये के हिसाब से प्याज अलवर खुदरा मंडी में बिक रही है. ऐसे में किसान को प्याज की लागत भी नहीं मिल पा रही.
लाल प्याज के क्षेत्र में अलवर की देश भर में अलग पहचान बन चुकी है. अलवर का प्याज पंजाब, दिल्ली, दक्षिण के राज्यों तक अपनी पहुंच बना चुका है. यही कारण है कि लाल प्याज अलवर जिले की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ बन चुका हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से किसानों को प्याज के भाव नहीं मिलने के कारण किसान का लागत मूल्य भी निकल पाना मुश्किल हो रहा है.
अलवर प्याज मंडी देश की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है. लेकिन यहां के प्याज नवंबर, दिसंबर व जनवरी में ही आते हैं. मंडी के आढ़ती सौरभ कालरा ने बताया कि अब जो मार्केट में प्याज चल रहे हैं, वे प्याज गुजरात के भावनगर और महुआ के आ रहे हैं क्योंकि राजस्थान की दूरी गुजरात से कम है. इसमें मंडी में आढ़तियों को भाड़ा भी कम लगता है.
इसलिए अलवर मंडी में गुजरात से प्याज आ रहे हैं. गुजरात के किसान 3 से 4 रुपये किलो प्याज मंडी में बेचने के लिए मजबूर हैं. वही अलवर की बात करें तो 7 रुपये से 8 रुपये के हिसाब से प्याज अलवर खुदरा मंडी में बिक रही है. ऐसे में किसान को प्याज की लागत भी नहीं मिल पा रही.