होमऑटोये हैं वो कारण जिनके चलते आज भी इलेक्ट्रिक कार खरीदने से डरते हैं ग्राहक

ये हैं वो कारण जिनके चलते आज भी इलेक्ट्रिक कार खरीदने से डरते हैं ग्राहक

ये हैं वो कारण जिनके चलते आज भी इलेक्ट्रिक कार खरीदने से डरते हैं ग्राहक
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By HINDICNBCTV18.COMDec 7, 2022 8:33:42 AM IST (Published)

चार्जिंग के प्रावधानों की उपलब्धता कम होना सबसे ज्यादा चिंताजनक है, जिसके बाद सुरक्षा समस्याएं आती हैं, जो सुर्खियों में बनी रहती हैं. इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 40 % उत्तरदाता ने कहा कि आवासीय स्थानों और उनके आसपास चार्जिंग सुविधाओं की कमी के बारे में उनकी चिंताएं हैं.

दुनिया में इलेक्ट्रिक कारों की धूम है. अमेरिका से लेकर यूरोप, चीन और भारत में भी एक से एक इलेक्ट्रिक कार लॉन्च हो रही हैं. भारत में टाटा की इलेक्ट्रिक कारों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है. लेकिन पेट्रोल-डीजल की तुलना में अभी भी लोग इलेक्ट्रिक कार लेने से कतराते हैं. आखिर क्या हैं वो कारण जिनके चलते आज भी आम लोग इलेक्ट्रिक कार लेने से पहले हिचकता है? इस रिपोर्ट में सभी उत्तर हैं. हम आपको उन कारणों के बारे में बतलाते हैं, जो लोगों के दिमाग में इलेक्ट्रिक कार लेने से पहले खटकते हैं.

चार्जिंग के प्रावधानों की उपलब्धता कम होना सबसे ज्यादा चिंताजनक है, जिसके बाद सुरक्षा समस्याएं आती हैं, जो सुर्खियों में बनी रहती हैं. 40 % उत्तरदाता आवासीय स्थानों और उनके आसपास चार्जिंग सुविधाओं की कमी के बारे में चिंतित हैं. उन्होंने वाहन को पूरा चार्ज होने में लगने वाले समय के मामले में ज्यादा स्पष्टता होने की जरूरत को प्रदर्शित किया. इसके अलावा, 40 % उत्तरदाताओं ने इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की घटनाओं के बारे में चिंता व्यक्त की, जो सुर्खियों में रहीं.
इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहन के 41 % मालिकों का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज होने में काफी ज्यादा समय लगता है, और 40 % मालिक आवासीय कॉम्प्लेक्स में चार्जिंग के प्रावधानों की कमी के बारे में चिंतित हैं. इलेक्ट्रिक वाहन कार मालिकों में 49 % का मानना है कि बैटरी रिप्लेसमेंट की लागत इलेक्ट्रिक वाहन के स्वामित्व की एक बड़ी लागत है. चिंताजनक बात यह है कि इलेक्ट्रिक वाहन के 43 % मालिकों का मानना है कि उनके वाहन का ड्राईविंग का अनुभव और प्रदर्शन पारंपरिक वाहनों के समान नहीं हैं.
अनिमेष दास, सीनियर डायरेक्टर, मोटर अंडरराईटिंग, एको ने कहा, ‘‘भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कार बाजार है. उपभोक्ताओं का प्राथमिक विकल्प बनने की इलेक्ट्रिक वाहनों की दौड़ में हम इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उनके दृष्टिकोण को समझना चाहते थे. हमने यूगॉव इंडिया के साथ काम किया और उन उत्तरदाताओं से बात की,जो या तो इलेक्ट्रिक वाहन के मालिक थे या अगले साल इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना चाहते थे.
इस अध्ययन का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहन के बारे में उपभोक्ताओं के विचारों को समझना था. परिणामस्वरूप, हम भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की मुख्य समस्याओं और बाधाओं, इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं तक पहुँचाने के लिए उत्तरदाताओं की चिंताओं, और इलेक्ट्रिक वाहन के लिए विशेष बीमा पॉलिसी की जरूरत और इलेक्ट्रिक वाहन से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को समझ सके.’’
इस रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित जानकारी की काफी कमी प्रदर्शित हुई, जिसे दूर किया जाना जरूरी है. उदाहरण के लिए, चिंताजनक रूप से 63 % उत्तरदाताओं को यह नहीं मालूम कि इलेक्ट्रिक वाहन में लगी आग को रोकने के लिए रेत सबसे अच्छा विकल्प है. बैटरी की लाईफ को लेकर भी जानकारी की कमी है. उदाहरण के लिए 66 % लोगों का मानना है कि बैटरी केवल 2 से 5 साल तक चलती है. अच्छी बात यह है कि 10में से 8 लोग इस बात को समझते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी लाईफ में चार्जिंग का तरीका मुख्य भूमिका निभाता है.
इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने का एक महत्वपूर्ण पहलू बीमा है, और इलेक्ट्रिक वाहन की बढ़ती लोकप्रियता के साथ कस्टमाईज़्ड बीमा उत्पादों की मांग भी बढ़ी है. 79% उत्तरदाताओं ने बताया कि वो अपने इलेक्ट्रिक वाहन के लिए कस्टामाइज्ड बीमा समाधान चाहते हैं और 67 % उसके लिए प्रीमियम देने के लिए भी तैयार हैं. हालाँकि 53 % ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए विशिष्ट बीमा उत्पाद प्रदान करने वाले भरोसेमंद पार्टनर्स की कमी है.
जब पॉलिसी खरीदने की बात आती है, तो इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के इच्छुक और मालिकों ने ऑनलाईन बीमा प्रदाता को चुना. 59 % उत्तरदाता एको जैसी ऑनलाईन कंपनी से पॉलिसी खरीदना चाहते हैं. इस रिपोर्ट की एक मुख्य बात है कि इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जागरुकता बढ़ाए जाने की अत्यधिक जरूरत है. यह स्पष्ट है कि भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना चाहते हैं और इसे मोबिलिटी का भविष्य मानते हैं, लेकिन संचार में कमी और बाजार में अपर्याप्त जानकारी के कारण वो ऐसा नहीं कर पा रहे हैं.
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