Income Tax: फिलहाल करदाताओं के पास दो टैक्स स्ट्रक्चर का विकल्प हैं पुराने टैक्स स्ट्रक्चर में निवेश छूट का फायदा मिलता है. वहीं नए स्ट्रक्चर में टैक्स दरों का फायदा मिलता है.
बजट के ऐलान में अब कुछ ही दिन बाकी हैं और उम्मीद है कि इस बार बजट में आम लोगों को टैक्स दरों में राहत मिल सकती है. सीएनबीसी आवाज को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक नए टैक्स रिजीम में दरों में कटौती हो सकती है. आइये जानते हैं कि दोनों टैक्स स्ट्रक्चर में अंतर क्या है और ऐसी क्या वजह है कि सरकार नए स्ट्रक्चर में बदलाव ला सकती है.
क्या है नए और पुराने टैक्स स्ट्रक्चर में अंतर
फिलहाल करदाताओं के पास नए और पुराने दो तरह के टैक्स स्ट्रक्चर मौजूद हैं. पुराना टैक्स स्ट्रक्चर आपको निवेश का फायदा टैक्स छूट के रूप में देता है, तो दूसरे यानि नए स्ट्रक्चर में आपको टैक्स दरों में फायदा मिलता है. नए टैक्स स्ट्रक्चर में सभी तरह की छूट खत्म कर दी गई हैं लेकिन बदले में दरें कम रखी गई है. वहीं पुराने टैक्स स्ट्रक्चर में किए गए निवेश पर टैक्स की छूट मिलती है. आम तौर पर पारंपरिक निवेश विकल्पों में पैसा लगाने वाले पुराने टैक्स स्ट्रक्चर को प्राथमिकता देते हैं.
क्या हैं टैक्स की दरें
छूट और राहत से अलग सिर्फ टैक्स दरों की बात करें तो 2.5 लाख रुपये तक की आय पर दोनो रिजीम में टैक्स शून्य है. वहीं 2.5 लाख से 5 लाख रुपये के बीच की आय पर दोनों रिजीम में 5-5 प्रतिशत का टैक्स लगता है. पुराने टैक्स स्ट्रक्चर में 5 से 10 लाख के बीच की आय पर 20 प्रतिशत का टैक्स हैं. वहीं नए स्ट्रक्चर में 5 से 7.5 लाख की आय पर 10 प्रतिशत और 7.5 से 10 लाख की आय पर 15 प्रतिशत का टैक्स लगता है. वहीं पुराने टैक्स स्ट्रक्चर में 10 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगता है. दूसरी तरफ नए स्ट्रक्चर में 10 से 12.5 लाख पर 20 प्रतिशत, 12.5 से 15 लाख के बीच आय पर 25 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगता है.