हिमाचल प्रदेश में ट्रक यूनियन के मनमाने किराये की वजह से हर किसी की परेशानी बढ़ गई है. ट्रक यूनियन के अड़ियल रवैये से पूरे हिमाचल प्रदेश में संकट गहरा गया है. यही नहीं इससे हर महीने सरकारी खजाने को ₹200 करोड़ का नुकसान हो रहा है. आम आदमी से लेकर इंडस्ट्री तक हर कोई परेशान परेशान है. आम लोग हों या कर्मचारी, ट्रक ड्राइवर, रीटेलर, कारोबारी, इंडस्ट्री या सरकार हर कोई इन दिनों परेशान है.
अदानी ग्रुप के सीमेंट प्लांट पर संकट
आम आदमी ही नहीं बल्कि ट्रांसपोर्टेशन में दिक्कत की वजह से अदानी ग्रुप के दो सीमेंट प्लांट पर संकट मंडरा रहा है. सीमेंट प्लांट में दिक्कत की वजह से अदानी ग्रुप के 1000 डीलर और 800 रीटेल की रोजी-रोटी खत्म होने के कगार पर है. माना जा रहा है कि ट्रांसपोर्टेशन में दिक्कत की वजह से सीमेंट प्लांट से जुड़े करीब 3 हजार लोगों के रोजगार पर असर पड़ रहा है.
सरकारी खजाने को हर महीने 200 करोड़ का नुकसान
जानकारी के अनुसार दरलाघाट के 85 और गगल के 58 कर्मचारियों को दूसरे प्लांट में शिफ्ट किया गया है. ऊना जिले की दूसरी इंडस्ट्री में भी बढ़ी परेशानी बढ़ गई है. इससे सरकारी खजाने को हर महीने करीब 200 करोड़ का नुकसान हो रहा है. यह नुकसान रॉयल्टी, जीएसटी, वैट के तौर पर हो रहा है.
सीमेंट का दाम ढ़ाई से तीन गुना ज्यादा
ट्रांसपोर्टेशन में दिक्कत की वजह से पेट्रोल डीजल की सप्लाई भी बाधित हो रही है. हिमाचल में दूसरे राज्यों के मुकाबले सीमेंट का दाम ढ़ाई से तीन गुना ज्यादा हो गया है. अब इस मामले में इंडस्ट्री एसोसिएशन ने हिमाचल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इंडस्ट्री ने अपने स्तर पर ट्रक लगाने की छूट देने की मांग की है. इंडस्ट्री की मांग है कि फ्रेट रेट तय करने के लिए ओपन टेंडर मंगाया जाए.