रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कंपनियों का कुल कर्ज मार्च के अंत में घटकर 8 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर आ सकता है. जो कि वित्त वर्ष 2020 के अंत में 12.26 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर था.
भारतीय कंपनियों पर कर्ज का बोझ अब घटने लगा है. एक रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों का मुनाफा बढ़ने से बीएसई 500 कंपनियों पर कुल कर्ज 6 साल के निचले स्तरों पर पहुंच गया है. कंपनियों के कर्ज में महामारी के बाद से लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल अप्रैल तक ब्याज दरों का निचला स्तर भी कंपनियों पर कर्ज बोझ कम करने में मददगार साबित हुआ.
क्या कहती है रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कंपनियों का कुल कर्ज मार्च के अंत में घटकर 8 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर आ सकता है. जो कि वित्त वर्ष 2020 के अंत में 12.26 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर था. कर्ज का स्तर घटने से पूरा क्रेडिट रेश्यो भी सुधर गया है. एबिटडा के मुकाबले नेट डेट कोविड पूर्व स्तर मुकाबले आधा हो गया है.
डीएसपी इनवेस्टमेंट मैनेजर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुनाफे में बढ़त की मदद से कंपनियों ने अपने कर्ज को कम करने में सफलता हासिल हुई. वहीं इसी की मदद से कंपनियों को आगे निवेश बढ़ाने में मदद मिली है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में 2817 कंपनियों का कुल मुनाफा पिछले साल के मुकाबले 51 फीसदी बढ़ा. इससे कंपनियों के पास अतिरिक्त रकम आई है और उन्होने कर्ज घटाने में इसका इस्तेमाल किया है.
हालांकि इसके साथ एक और चिंता भी खड़ी हुई है. पिछले साल मई के बाद से कर्ज दरों में लगातार बढ़त देखने को मिल रही है. बेंचमार्क रेट 2.5 फीसदी की बढ़त के साथ 6.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है. इससे कर्ज की लागत बढ़ी है. ऐसे में कंपनियों पर कर्ज को निचले स्तरों पर बनाए रखने में मुश्किलें आ सकती हैं.
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