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गांधी की विरासत को सहेज रहा सेवाग्राम, देखिए कैसे दे रहा लोगों को रोजगार?

गांधी की विरासत को सहेज रहा सेवाग्राम, देखिए कैसे दे रहा लोगों को रोजगार?
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By Local 18  Mar 25, 2023 2:15:11 PM IST (Updated)

सेवाग्राम आश्रम एक ही छत के नीचे सूत और सूत का कपड़ा दोनों बनाता है. इससे तैयार होने वाला कपड़ा भी सेवाग्राम आश्रम में ही बेचा जाता है. सेवाग्राम आश्रम में हर साल विदेशी पर्यटक आते हैं और उन्हें खादी का कपड़ा पसंद आता है.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का विचार था कि विदेशी वस्तुओं को अस्वीकार कर देना चाहिए और देश में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग किया जाना चाहिए. गांधीजी ने भी स्वदेशी वस्तुओं के अधिक से अधिक उपयोग का आह्वान किया. अब महात्मा गांधी की इसी अवधारणा को वर्धा स्थित सेवाग्राम आश्रम आगे बढ़ा रहा है. उमेश तकसंडे गांधी की वैचारिक विरासत को सहेज रहे हैं और कपास से कपड़ा परियोजना चला रहे हैं.

स्वतंत्रता आंदोलन में स्वदेशी पुरस्कार
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को सफल बनाने के लिए महात्मा गांधी ने स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की. चरखे पर सूत कात कर खादी के कपड़े बनाने का कार्य प्रारंभ किया. उस समय भारतीय कारीगर कपास चुनने और साफ करने और फिर कपड़ा बनाने में दक्ष थे. 1917-18 में साबरमती आश्रम में पहला कपड़ा तैयार किया गया. इसके बाद चरखे पर सूत कातना आंदोलन का हिस्सा बन गया है.
कपड़ा उत्पादन में एक प्रयोग
सेवाग्राम आश्रम में भी महात्मा गांधी ने स्वदेशी की वकालत की और चरखे पर सूत कातने का कार्यक्रम जारी रखा. महात्मा गांधी का कपास से कपड़े का प्रयोग आजादी के बाद भी जारी रहा. वर्तमान में उमेश तकसांडे सेवाग्राम आश्रम के तहत कपास से लेकर कपड़ा विभाग चला रहे हैं. इस विभाग के माध्यम से 50 से 60 लोगों को रोजगार मिला है.
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