सेंट्रल बैंकों के फैसलों को देखकर यही नजर आ रहा है कि आर्थिक मंदी से निपटने के लिए अमेरिका के पास कोई पुख्ता प्लान नहीं है. अमेरिका में मची इस उथल-पुथल का फायदा चीन को हो सकता है.
अमेरिका में एक हफ्ते के अंदर क्रैश हुए तीन बैंकों ने अमेरिका ही नहीं बल्कि ग्लोबल लेवल पर अस्थिरता पैदा कर दी है. उधर, अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व सिस्टम अपनी रणनीति में बदलाव के मूड में नहीं है. देश में आए फाइनेंशियल संकट के बीच महंगाई को कंट्रोल करने के लिए फेड ने अपनी ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की है.
सेंट्रल बैंकों के फैसलों को देखकर यही नजर आ रहा है कि आर्थिक मंदी से निपटने के लिए अमेरिका के पास कोई पुख्ता प्लान नहीं है. अमेरिका में मची इस उथल-पुथल का फायदा चीन को हो सकता है.
इस बात से तो कोई भी अनजान नहीं है कि अमेरिका और चीन काफी लंबे समय से एक दूसरे के साथ कोल्ड वॉर (शीत युद्ध) में हैं. उधर, अमेरिका में बंद हुआ SVB भविष्य में आने वाली एक बहुत बड़ी समस्या का संकट है. दरअसल, यह दर्शाता है कि अमेरिकी फाइनेंशियल सिस्टम के पास महंगाई से निपटने और मौद्रिक नीति (Monetary Policy) के सामान्यीकरण के लिए पुख्ता तैयारी नहीं है. जिसका लाभ सीधे चीन को मिल सकता है.