आम आदमी को बड़ा झटका लगा है. जनवरी में महंगाई बढ़ गई है. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में सीपीआई यानी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स 5.72 फीसदी से बढ़कर 6.52 फीसदी हो गई है. बाजार को इसके बढ़कर 6.1% का अनुमान था. आपको बता दें कि इंफ्लेशन यानी महंगाई डेली या आम जरूरत की ज्यादातर चीजों और सेवाओं की कीमतों में इजाफे को बताती है. जैसे कि भोजन, कपड़े, घर, मनोरंजन, परिवहन, आदि. महंगाई समय-समय पर चीजों और सेवाओं के एक बास्केट में एवरेज प्राइस चेंज को मापती है. महंगाई किसी देश की करेंसी की एक यूनिट की परचेंजिंग पावर में कमी का संकेत है. इसे प्रतिशत में मापा जाता है.
शहरों और गांवों में बढ़ी महंगाई-
दिसंबर महीने के मुकाबले जनवरी में खाद्य महंगाई 4.19% से बढ़कर 5.94% हो गई है. ग्रामीण महंगाई 6.05% से बढ़कर 6.85% हो गई है.
शहरी महंगाई 5.39% से बढ़कर 6% हो गई है. सब्जियों की महंगाई -15.08% से बढ़कर -11.70%- हो गई है. दालों की महंगाई 3.89% से बढ़कर 4.27% हो गई है. हाउसिंग महंगाई 4.47% से बढ़कर 4.62% हो गई है.
यहां मिली राहत-कपड़ा, जूता-चप्पल महंगाई 9.58% से घटकर 9.08% पर आ गई है. बिजली, फ्यूल महंगाई 10.97% से घटकर 10.84% पर आ गई है.
महंगाई बढ़ रही है इसका कैसे पता चलता है?भारत में, महंगाई को मुख्य रूप से दो मुख्य सूचकांकों - WPI (थोक मूल्य सूचकांक) और CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) से मापा जाता है. ये थोक और खुदरा स्तर के मूल्य परिवर्तनों को मापते हैं. CPI वस्तुओं और सेवाओं जैसे फूड, मेडिकल केयर, एजुकेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की कीमत में अंतर की गणना करता है, जिसे भारतीय उपभोक्ता उपयोग के लिए खरीदते हैं. दूसरी और थोक वस्तुओं के मूल्य परिवर्तन को WPI से मापा जाता है.