होमइकोनॉमीक्या RBI अगले महीने बैठक में फिर बढ़ाएगा ब्याज दरें? किन फैक्टर्स पर रखनी होगी अहम नजर

क्या RBI अगले महीने बैठक में फिर बढ़ाएगा ब्याज दरें? किन फैक्टर्स पर रखनी होगी अहम नजर

क्या RBI अगले महीने बैठक में फिर बढ़ाएगा ब्याज दरें? किन फैक्टर्स पर रखनी होगी अहम नजर
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By HINDICNBCTV18.COMMar 17, 2023 1:26:58 PM IST (Published)

भारत में महंगाई अब कुछ समय से 6% का आसपास बनी हुई है. वैश्विक अनिश्चितता के माहौल के बीच ये देखना अहम होगा कि अगले महीने होने वाली बैठक में RBI नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है या नहीं.

भारत की महंगाई दर काफी समय से लगभग 6% के आसपास बनी हुई है और आरबीआई अमेरिकी मार्केट में बनी अस्थिरता के साथ-साथ रुपए की स्थिरता पर भी अपनी नजर बनाए हुए है. प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल (EAC) के सदस्यों ने कहा कि इसे देखते हुए आरबीआई अप्रैल में अपनी MPC (Monetary Policy Committee) मीटिंग में एक और रेट हाइक का निर्णय ले सकता है.

EAC - PM पार्ट टाइम मेंबर साजिद जेड चिनॉय ने क्रिसिल के इंडिया आउटलुक सेमिनार 'राइडर इन द स्टॉर्म' में कहा कि महंगाई दर लंबे समय से 6% पर बनी हुई है. हमें यह समझना होगा कि आखिर ऐसा क्यों है. अपनी अगली एमपीसी बैठक में आरबीआई क्या निर्णय लेगा उस पर कुछ कहा नहीं जा सकता. लेकिन हालातों को देखते हुए आरबीआई का एक और रेट हाइक करना सही फैसला होगा.
ग्लोबल चेन इंटीग्रेशन पर हो जोर
उन्होंने कहा कि इस कमजोर वैश्विक माहौल में भारत को फिस्कल या मोनेटरी पॉलिसी को समय से पहले ढील देने की जरूरत नहीं है. बल्कि, 2023 में मैक्रो इकोनॉमिक स्टेबिलिटी बनाए रखने की जरूरत है. इस साल के अंत में हल्की मंदी की वजह से भारत को विकास में आने वाली मंदी से चिंतित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसके बजाय ग्लोबल सप्लाई चेन में इंटीग्रेशन का लक्ष्य रखना चाहिए.
निर्यात के आंकड़ों में कमी के लिए रहें तैयार
उन्होंने कहा कि कुछ मंदी जरूर आएगी. हमें विकास की इस मंदी से घबराना नहीं चाहिए. भारत को मीडियम ग्रोथ को मजबूत आधार पर रखना चाहिए और इस साल की ग्रोथ के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए. हमें इस सच को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना होगा कि निर्यात में कमी आएगी. भारी अनिश्चितता को देखते हुए निजी निवेश में समय लगेगा. हमें ब्लू कॉलर जॉब क्रिएट करने के लिए कैपेक्स को आगे बढ़ाने की जरूरत है.
महंगाई पर काबू पाना मुश्किल
EAC-PM के पार्ट टाइम मेंबर और क्रेडिट सुइस के अनुभवी नीलकंठ मिश्रा ने कहा कि RBI को अप्रैल में एक बार फिर ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. नीलकंठ मिश्रा ने क्रिसिल सेमिनार में कहा कि MPC में बाहरी सदस्यों को लगता है कि केवल इन्फ्लेशन पर ध्यान देना चाहिए जबकि आरबीआई को लगता है कि करेंसी स्टेबिलिटी पर भी फोकस किया जाना चाहिए. जैसे ही कंपनियां रुपए लोन्स के साथ डॉलर लोन्स को रीफाइनेंस करना शुरू करती हैं, आरबीआई को एक और बढ़ोतरी करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. कोर इन्फ्लेशन को नीचे लाना कठिन काम है और वैश्विक मंदी यह कर सकती है.
उन्होंने कहा कि भले ही भारत का विकास धीमा हो जाए, जो हालातों को देखते हुए तय लगता है, लेकिन यह फ्लेक्सिबल होगा. वास्तविक ग्रामीण वेतन वृद्धि पहली बार पॉजिटिव हुई है. जबकि मैन्युफैक्चरिंग पर खास टारगेट होना चाहिए लेकिन जॉब्स जनरेट करना भी उतना ही जरूरी है. यदि ग्लोबल डिमांड स्थिर हो जाती है, तो भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट को मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ सकता है.
सर्विस एक्सपोर्ट बढ़ने से रुपए में तेजी, दरें बढ़ाने का दबाव नहीं
आदित्य बिड़ला ग्रुप की चीफ इकोनॉमिस्ट इला पटनायक ने कहा कि यूएस फेड के फैसले को बाजारों द्वारा माना जाएगा और इससे काफी अनिश्चितता पैदा हो सकती है. ऐसे में भारत को चीन से आयात पर नजर रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि चूंकि सर्विस एक्सपोर्ट रुपए को ऊपर की ओर ले जा रहा है ऐसे में आरबीआई दरों को बढ़ाने के लिए ज्यादा दबाव महसूस नहीं करेगा.
चीन से कई सामानों का आयात बढ़ा
इला पटनायक ने सेमिनार में कहा कि अमेरिका, यूरोप में सुस्ती है इसे देखते हुए लगता है कि आने वाला साल ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट के लिए अनिश्चितता भरा होगा. चीन से ट्रेड पॉलिसी का खतरा कहीं अधिक हो सकता है. ट्रेड डायवर्जन के कारण चीन से आयात में तेज वृद्धि हो सकती है. टेक्सटाइल, केमिकल, इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट और इलेक्ट्रॉनिक्स में चीनी आयात (इम्पोर्ट) में वृद्धि हुई है. क्या भारत को चीन से हैवी डंपिंग की इजाजत देनी चाहिए? इस सवाल का जवाब तय करेगा कि भारत में निवेश कैसे प्रतिक्रिया देता है. ऐसा लगता है कि हम मैन्युफैक्चरिंग एक्सपोर्ट के मामले में चूक गए हैं.
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