सेस प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के करों पर लगाया जा सकता है. कई बार सरकार आपदा राहत, नदियों की सफाई के लिए धन जुटाने, स्वास्थ्य इत्यादि उद्देश्यों के लिए सेस लगाती है.
सेस यानी उपकर टैक्स के ऊपर लगाया जाने वाला एक विशेष कर होता है. आमतौर पर सेस विशिष्ट उद्देश्य के लिए लगाया जाता है और जब इस कर को लगाने का उद्देश्य पूरा हो जाता है, तो सरकार इसे वसूलना बंद कर देती है. इस कर की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे जो भी सरकार लगाती है, उसे इस कर को किसी के साथ साझा नहीं करना पड़ता. उदाहरण के तौर पर यदि सरकार ने किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए सेस लगाया है, तो वह इसे अन्य राज्यों के साथ साझा नहीं करती है. सरकार इस उपकर से मिली पूरी राशि को अपने पास रखती है.
कब और कहां लगता है उपकर (सेस)?
सरकार मुख्यतः प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के वित्त पोषण तथा अतिरिक्त राजस्व के लिए उपकर लगाती है. जब सरकार को लगता है कि उसका वह विशिष्ट उद्देश्य, जिसके लिए सेस लगाया गया था वह पूर्ण हो गया तो वह इसे हटा लेती है. सेस प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के करों पर लगाया जा सकता है. कई बार सरकार आपदा राहत, नदियों की सफाई के लिए धन जुटाने, स्वास्थ्य इत्यादि उद्देश्यों के लिए सेस लगाती है. उदाहरण के लिए वर्ष 2018 में जब केरल बाढ़ से ग्रसित था, तब केरल सरकार ने जीएसटी पर 1% का आपदा उपकर लगाया था और ऐसा करने वाला राज्य केरल पहला राज्य बना था.
क्या है कर और उपकर में अंतर?
टैक्स सरकार के आय का मुख्य साधन है. सरकार द्वारा चलाई गई प्रत्येक योजना एवं विकास कार्य का खर्च टैक्स द्वारा वसूले गए राजस्व से ही किया जाता है. देश में मुख्य रूप से दो प्रकार के टैक्स आरोपित किए गए हैं- एक अप्रत्यक्ष कर, जिसे वस्तु एवं सेवा कर या जीएसटी के नाम से जाना जाता है. दूसरा प्रत्यक्ष कर जो कि सीधे तौर पर किसी भी प्रकार की आय पर लगाया जाता है.