What is budget: इस बजट घोषणा पत्र का संबंध बेशक एक ही वित्तीय वर्ष से होता है लेकिन इसका असर कई सालों तक रहता है. आइए आसान शब्दों में समझते हैं कि आम आदमी के लिए बजट क्या होता है और उस पर उसका क्या असर पड़ता है?
संविधान की धारा 112 के मुताबिक हर वित्तीय वर्ष यानि 1 अप्रैल से 31 मार्च के बीच केंद्र सरकार अपनी कमाई और खर्च का ब्योरा संसद के सामने पेश करती है. संसद में बजट पेश करना सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है. सरकार सालाना वित्तीय ब्योरा की जानकारी मुख्य बजट संबंधी घोषणा पत्र के जरिए पेश करती है.
इस बजट घोषणा पत्र का संबंध बेशक एक ही वित्तीय वर्ष से होता है लेकिन इसका असर कई सालों तक रहता है. आइए आसान शब्दों में समझते हैं कि आम आदमी के लिए बजट क्या होता है और उस पर उसका क्या असर पड़ता है?
आय और खर्च का ब्योरा?
बजट एक निश्चित अवधि में होने वाली अनुमानित कमाई और उस अवधि में होने वाले खर्चों का विवरण होता है. बजट एक आम परिवार से लेकर सरकार तक सभी के लिए अहम होता है. भले ही बजट का आकार कैसा भी हो सभी तरह के बजट का उद्देश्य एक ही होता है, जिसमें बजट बनाने वाले आय के व्यवस्थित और सोच समझकर इस्तेमाल के जरिए सभी अहम जरूरतें पूरी करते हुए विकास की राह पर बढ़ने का लक्ष्य रखते हैं.
ठोस बजट किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम होता है. इससे सरकार के सभी विभागों को अपनी अपनी योजनाएं बनाने और प्राप्त हुई आय का सबसे अच्छा इस्तेमाल करने में मदद मिलती है.
बजट के प्रकार?
आपको लगता होगा कि बजट सिर्फ एक ही तरह का होता है लेकिन ऐसा नहीं है. कमाई और खर्च के आधार पर बजट तीन तरह के होते हैं, पहला डेफिसिट बजट होता है जिसमें खर्च आय से भी ज्यादा होते हैं और सरकार कर्ज के जरिए अंतर को पूरा करती है.
दूसरी तरह का बजट सरप्लस बजट होता है जिसमें कमाई के मुकाबले खर्च कम होता है. वहीं तीसरा बजट बैलेंस्ड बजट होता है जहां कमाई और खर्च दोनों बराबर होते हैं. वहीं उद्देश्य के आधार पर भी बजट के कई प्रकार होते हैं जिसमें परफॉर्मेंस बजटिंग के तहत किसी साल में कार्य के परिणाम के आधार पर अगले साल के बजट तैयार होते हैं.
आउटकम बजट में ये देखा जाता है कि किसी योजना या कार्यक्रम के परिणाम उस पर व्यय किए गए धन के मुताबिक हैं या नहीं. इसमें लगातार समीक्षा जारी रहती है. वहीं जेंडर बजटिंग में महिलाओं के लिए खास योजनाओं पर जोर दिया जाता है.