कई बार आप जब पैसा लगाने की योजना बनाते हैं तो आपके पास अलग अलग कंपनियों से जुड़े कई सलाहकार सलाह देने के लिए मौजूद होते हैं. लेकिन जब आपको पैसे निकालने की जरूरत होती है तो आपको कई सवालों के जवाब खुद तलाशने पड़ते हैं. और इसी वजह से कई बार निवेशक ऐसी स्कीम में नुकसान भी उठा लेते हैं. यही कारण है कि जानकार सलाह देते हैं निवेश से पहले ही समझ लें कि पैसा निकालने के क्या नियम हैं और क्या स्ट्रेटजी होनी चाहिए. सीएनबीसी आवाज के साथ एक खास बातचीत में आनंद राठी वैल्थ के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज ने म्यूचअल फंड्स स्कीम और ईएलएसएस से पैसा निकालने से जुड़ी कई काम की बात शेयर की. आप भी इन बातों का ध्यान रखकर मुनाफे वाली एग्जिट कर सकते हैं.
स्कीम से पैसे निकालने से पहले किन बातों का दें ध्यान-
फिरोज ने सलाह दी है कि रिडम्पशन के लिए पहले ये देखें कि किस फंड से आप पैसे निकाल रहे हैं. दरअसल डेट हो या इक्विटी अलग अलग कैटेगरी के लिए अलग अलग नियम होते हैं. इक्विटी में पैसा निकालने पर 3 बातों का ध्यान रखा जाता है. पैसे निकालने से पहले देंखें कि इस पर टैक्स के नियम क्या लागू होते हैं.
आप जानने की कोशिश करें कि पैसे निकालने पर आपकी टैक्स की देनदारी क्या होगी. वहीं दूसरी बात देखें कि क्या स्कीम में कोई एग्जिट लोड है या फिर पैसा निकालने पर पेनल्टी है या नहीं. तीसरी सबसे अहम बात ये है कि ये रिडीम का सही वक्त है या नहीं.
देखें कि क्या आप गलत समय पर एक सही स्कीम से बाहर तो नहीं निकल रहे. वहीं डेट में एक निश्चित अवधि से पहले आप पर पेनल्टी लग सकती है. अपनी स्कीम के बारे में इस समय के बारे में और समय से पहले पैसे निकालने पर पेनल्टी आदि की पूरी जानकारी रखें.
ईएलएसएस में पैसे निकालने के क्या हैं नियम-ईएलएसएस यानि इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में 3 साल का लॉक इन पीरियड होता है. वहीं एक बात पर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते कि मासिक किस्त यानि एसआईपी के जरिए ईएलएसएस में निवेश करने पर 3 साल का नियम हर किस्त पर लागू होगा.
अगर आप 3 साल की आखिरी किस्त यानि 36वीं किस्त का भुगतान कर रहे हैं तो इस किस्त का लॉक इन भी अगले 3 साल का होगा यानि 3 साल में जमा पूरी रकम कुल 6 साल में एग्जिट फ्री होगी. वहीं फिरोज ने काम की सलाह दी कि अगर आप एकमुश्त रकम का निवेश करते हैं और लंबी अवधि तक निवेश बनाए रखना चाहते हैं तो आप लॉक इन पूरा होने पर रकम निकाल कर फिर से उसे इसी स्कीम में लगा सकते हैं जिससे उस वर्ष आप नए निवेश पर टैक्स छूट पा सकें.