केंद्रीय बजट 2023 में इनकम टैक्स छूट की सीमा या स्टैंडर्ड कटौती को बढ़ाया जा सकता है. वर्तमान 2.5 लाख रुपये से यह सीमा 5 लाख रुपये तक बढ़ाई जा सकती है.पिछले कुछ केंद्रीय बजटों में भारतीय मिडिल क्लास को टैक्स स्लैब, टैक्स दरों या स्टैंडर्ड कटौती में बदलाव के माध्यम से कोई राहत नहीं मिली है और कोविड-19 महामारी के बाद ऐसे लोगों के लिए जीवन-यापन थोड़ा कठिन हो गया है.
2014 से आयकर सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ है. पिछले सात महीनों में रेपो रेट में कई बार बढ़ोतरी के साथ EMI बढ़ गई हैं. EPFO की ब्याज दरों में कटौती के साथ बचत घट गई है और रोजमर्रा की वस्तुओं पर जीएसटी बढ़ने से रसोई का बजट भी बढ़ गया है.
टैक्स में राहत को लेकर वित्त मंत्रालय में विचार-विमर्श जारी है और अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्रीय बजट 2023 में इनकम टैक्स छूट की सीमा या स्टैंडर्ड कटौती को बढ़ाया जा सकता है. वर्तमान 2.5 लाख रुपये से यह सीमा 5 लाख रुपये तक बढ़ाई जा सकती है, जिससे सैलरी पर काम कर रहे व्यक्ति के हाथों में ज्यादा इनकम बच सकेगी.
एक आम टैक्सपेयर्स को उस टैक्स स्लैब के आधार पर इनकम टैक्स का भुगतान करना होता है जिसमें वो आते हैं. टैक्स स्लैब व्यक्ति की आय के आधार पर तय किया जाता है. इसलिए, ज्यादा आय वाले व्यक्तियों को अधिक टैक्स का भुगतान करना पड़ता है. स्लैब सिस्टम को देश में एक उचित टैक्स सिस्टम बनाए रखने के लिए पेश किया गया था. हर एक बजट में अक्सर स्लैब बदलते रहते हैं.
फाइनेंशियल 2022 - 2023 के लिए टैक्स स्लैब (AY 2023 - 2024)
इनकम टैक्स स्लैब | टैक्स रेट |
2.5 लाख रुपये तक | - |
2.50 - 5 लाख रुपये के बीच | कुल आय का 5% जो कि 2.5 लाख रुपये से अधिक है |
5 - 7.50 लाख रुपये के बीच | कुल आय का 10% जो 5 लाख रुपये से अधिक है+ 12,500 रुपये |
7.50 - 10 लाख रुपये के बीच | कुल आय का 15% जो 7.5 लाख रुपये से अधिक है + 37,500 रुपये |
10- 12.50 लाख रुपये के बीच | कुल आय का 20% जो 10 लाख रुपये से अधिक है + 75,000 रुपये |
12.50- 15 लाख रुपये के बीच | कुल आय का 25% जो 12.5 लाख रुपये से अधिक है + 1,25,000 रुपये |
15 लाख रुपये से ऊपर | कुल आय का 30% जो 15 लाख रुपये से अधिक है + 1,87,500 रुपये |