हर बैंक अपने सेविंग खाते पर मिनिमम बैलेंस की सीमा रखते हैं. अगर कोई खाताधारक इससे जुड़े नियम को पूरा नहीं करता तो उस पर पेनल्टी लगाई जाती है.
लगभग सभी बैंक जीरो बैलेंस अकाउंट की सुविधा देते हैं, लेकिन यह सुविधा सभी ग्राहकों के लिए उपलब्ध नहीं होती है. अधिकांश मामलों में बैंक अकाउंटहोल्डर्स को अपने सेविंग अकाउंट में एक निर्धारित राशि बनाए रखनी होती है जिसे एएमबी यानि एवरेज मंथली बैलेंस कहते हैं. अलग-अलग बैंकों का एएमबी अलग-अलग होता है और ग्राहकों को पेनल्टी से बचने के लिए अपने सेविंग अकाउंट में निर्धारित न्यूनतम शेष राशि बनाए रखने की जरूरत होती है.
इस दौरान एएमबी राशि अकाउंट होल्डर की ब्रांच पर भी निर्भर करती है. यह राशि शहरी, मेट्रो, अर्ध-शहरी, या ग्रामीण क्षेत्र में स्थित शाखा के आधार पर अलग-अलग हो सकती है. आइये एक नजर डालते हैं मिनिमम बैलेंस को लेकर कुछ बड़े बैंकों के नियमों पर -
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
एसबीआई के सेविंग अकाउंट्स में एएमबी की जरूरत को मार्च 2020 में समाप्त कर दिया गया था. संशोधन से पहले, एसबीआई अकाउंटहोल्डर्स को एक मेट्रो क्षेत्र में 3,000 रुपये, अर्ध-शहरी क्षेत्र में 2,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्र में AMB के तहत 1,000 रुपये का मासिक बैलेंस रखना पड़ता था.