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पुरानी टैक्स व्यवस्था या नई? 4.25 लाख रुपए जादुई नंबर है

पुरानी टैक्स व्यवस्था या नई? 4.25 लाख रुपए जादुई नंबर है
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By HINDICNBCTV18.COMFeb 16, 2023 4:33:14 PM IST (Updated)

यूनियन बजट से कुछ दिन पहले, मैंने अपने 641,000 लिंक्डइन (LinkedIn) फॉलोअर्स से पूछा कि वे इनकम टैक्स की कौन सी व्यवस्था को फॉलो कर रहे हैं.

आदिल शेट्टी, सीईओ-बैंकबाज़ार डॉट कॉम

यूनियन बजट से कुछ दिन पहले, मैंने अपने 641,000 लिंक्डइन (LinkedIn) फॉलोअर्स से पूछा कि वे इनकम टैक्स की कौन सी व्यवस्था को फॉलो कर रहे हैं. लगभग 5300 ने अपनी राय बताई. केवल 11% ने कहा कि वे नई व्यवस्था को फॉलो कर रहे हैं. शेष ने पुरानी व्यवस्था के लिए वोट किया था. बाद में बजट पेश करने के कुछ दिनों बाद, मैंने पूछा कि कितने लोग नई व्यवस्था को अपनाएंगे. इस बार 21% लोगों ने नई व्यवस्था को चुनने के लिए कहा. अप्रैल से पे-रोल सिस्टम द्वारा नई व्यवस्था को “डिफॉल्ट” के रूप में चालू कर दिया जाएगा. इसलिए अनेक लोग ऑटोमैटिकली इसे चुन लेंगे. लेकिन दूसरे लोगों को अपना हिसाब-किताब लगाना होगा तथा सावधानी से यह तय करना होगा कि उनके लिए कौन सी व्यवस्था सर्वश्रेष्ठ है. कुछ भी हो, सेविंग, फिर चाहे कुछ हजार रुपये की ही क्यों न हो, मायने तो रखती है. यहां पर फैसला लेने में सहायता के लिए कुछ बातों पर विचार किया गया है.
7.5 लाख रूपये की आमदनी
यदि आपकी आमदनी 7.5 लाख रूपये या उससे कम है, तो नई व्यवस्था के तहत आप से कुछ टैक्स नहीं लिया जाता है. अब नई व्यवस्था में 50,000/- रूपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन दी गई है. इसमें 7 लाख रुपये तक पूरी टैक्स रिबेट दी गई है. इस तरह, 7.5 लाख रुपये तक कोई इनकम टैक्स नहीं होगा. यदि आप इससे एक रुपया भी अधिक कमाते हैं, तो नई व्यवस्था में आपको 31,200/-रुपये टैक्स देना होगा. लेकिन यदि आपने पुरानी व्यवस्था को चुना है, तथा आप कुछ भी टैक्स नहीं देना चाहते हैं, तो आपको जीरो-टैक्स लेवल पर आने के लिए 2.5 लाख रुपये की डिडक्शन प्राप्त करनी होगी. यह एक कठिन प्रस्ताव है. ज्यादातर लोग जो 7.5 लाख रुपये तक कमाते हों शायद डिडक्शन ना लें और टैक्स का भुगतान न करना आसान पायें.
30% डिडक्शन पाएं
पुरानी व्यवस्था एक बहुत ही सरल पैमाना है लेकिन यह 15 लाख रुपये तक की आमदनी के लिए कामयाब है. वेतनभोगी व्यक्ति के तौर पर आपके लिए अनेक डिडक्शन उपलब्ध हैं. क्या आपकी कुल मिलाकर सभी डिडक्शन आपकी आय का लगभग 30% होती हैं? यदि हां, तो आप पुरानी व्यवस्था को चुन सकते हैं. यदि नहीं, तो नई व्यवस्था आपके लिए बेहतर साबित होगी. वेतनभोगी टैक्सपेयर्स को उपलब्ध खास डिडक्शन में 80C (प्रोविडेंट फंड, होम लोन प्रिंसिपल पेमेंट, जीवन बीमा, पोस्टल सेविंग, पेंशन निवेश), 80D (खुद तथा माता-पिता के लिए स्वास्थ्य बीमा), 24B तथा 80EEA (होम लोन ब्याज), 80CCD(1b) (NPS), एचआरए जैसे लागू हो, 80G (क्वालिफाइड दान के लिए), 80E (शिक्षा लोन ब्याज), और 50,000/-रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन हैं. अधिकतर टैक्सपेयर्स इन कटौतियों के पात्र होते हैं, और इन पर विचार करना बहुत मायने रखता है.
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