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Avocado fruit farming in india Hindi: गुजरात के जिला भावनगर के कोडिया गांव के किसान दानुभाई राणाभाई सोलंकी एक प्रगतिशील किसान हैं और अपने 20 बीघे के खेत में ड्रैगन फ्रूट और एवोकाडो की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं.
दानुभाई राणाभाई सोलंकी ने लोकल 18 को बताया कि एवोकाडो की खेती से किसानों की कई पीढ़िया आराम से अपना गुजर बसर कर सकती हैं. आपको बता दें कि एवोकाडो एक विदेशी फल है. दुनिया में एवोकाडो की सबसे बड़ी खेती (एवोकाडो फार्मिंग आइडिया) लैटिन अमेरिका में होती है. एवोकाडो पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसलिए आज जब लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं तो इसका बाजार लगातार बढ़ रहा है.
पिछले कुछ वर्षों में देश में किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर नई फसल की खेती और आधुनिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. सबसे बड़ा कारण पारंपरिक खेती में अब कमाई नहीं हो रही है.
आज हम एक ऐसे फल की खेती के बारे में बात करने जा रहे हैं जिससे देश के कुछ किसान इस समय अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं.
इस खेती का मतलब है एवोकाडो की खेती. यह एक विदेशी फल है और दुनिया के अधिकांश लैटिन अमेरिकी देशों में इसकी खेती की जाती है. हालांकि, इस फल के स्वास्थ्य लाभ ऐसे हैं कि पूरी दुनिया में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है, वहीं किसान इसकी खेती करके अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं.
इस खेती से होने वाले फायदों के बारे में जानने के लिए हमें ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है. गुजरात के भावनगर जिले के तलजा तालुका के कोडिया गांव के किसान ने इस खेती में सफलता का स्वाद चखा है.
कोडिया गांव के किसान दानुभाई राणाभाई सोलंकी एक प्रगतिशील किसान हैं और अपने 20 बीघे के खेत में ड्रैगन फ्रूट और एवोकाडो की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. हालांकि, अगर आप भी यह खेती करना चाहते हैं तो आपको पहले यह समझ लेना चाहिए कि इसके लिए किस तरह के माहौल की जरूरत है, किस तरह की जमीन की जरूरत है और किस तरह के रख-रखाव की जरूरत है.
एवोकाडो की खेती के लिए आवश्यक जलवायु एवोकाडो एक गर्म जलवायु का पौधा है. एवोकैडो भारत में मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों और हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र के कुछ किसानों द्वारा उगाया जाता है. इसकी खेती के लिए 20-30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की जरूरत होती है.
एवोकाडो की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी एवोकाडो की खेती के लिए लैटेराइट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. साथ ही मिट्टी का पीएच मान 5 से 6 के बीच होना चाहिए. पानी भरे खेतों में इसकी खेती न करें. जब मिट्टी में जीवाश्मों की मात्रा अधिक होती है तो पौधा अधिक फल देता है.
एवोकाडो की मुख्य किस्में और खेत की तैयारी: इसकी मुख्य किस्में फुएर्टे, पिंकर्टन, हेस, पर्पल, पोलॉक, ग्रीन, राउंड पेराडेनिया पर्पल, हाईब्रिड, ट्रैप, लॉन्ग हैं. एवोकाडो की खेती के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए ताकि खरपतवार निकल जाएं. इसके बाद खेत में पानी डालें और ऐसा करने से मिट्टी नम हो जाती है.
सिंचाई और कटाई: सूखे और गर्म मौसम में पौधे को हर 3 से 4 सप्ताह में एक बार पानी दें. जबकि सर्दियों के मौसम में आप मल्चिंग विधि से नमी की कमी को दूर कर सकते हैं. यदि बारिश के दौरान खेत में पानी भर जाता है, तो पानी को तुरंत निकाल दें. इस प्रकार रख-रखाव करने पर पौधा 5-6 वर्ष में फल देने लगता है.
एवोकैडो की खेती में लाभ ही लाभ: बैंगनी एवोकैडो फल पकने पर मैरून रंग के हो जाते हैं, जबकि हरी किस्में पकने पर हरी-पीली हो जाती हैं. तुड़ाई के बाद फलों को 6-10 दिनों के लिए रख दिया जाता है ताकि वे थोड़े नरम हो जाएँ. जब तक यह पेड़ पर है तब तक यह चुस्त रहता है. एवोकाडो की गुणवत्ता के हिसाब से यह बाजार में 300 से 500 रुपये प्रति किलो बिकता है. एक अनुमान के मुताबिक एक किसान प्रति एकड़ 6 लाख तक कमा सकता है.