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Business Idea : पश्चिम मेदिनीपुर के केशियाडी निवासियों को बत्तख (Duck) पालन से काफी लाभ हो रहा है. उन्होंने क्षेत्र में बत्तख पालन कर मिसाल कायम की है.
Business Idea : केशियाडी के कानपुर निवासी लिपटन दास अपने घर के बगल वाले खेत में 300 से ज्यादा बत्तखें पाल रहे हैं. प्रतिदिन नियमित रूप से भोजन देने के साथ-साथ उसे चरने के लिए ले जाना भी आवश्यक है. बत्तख से अंडे और मांस मिलता है. नतीजतन करीब डेढ़ साल से वह बत्तख पालन कर मुनाफा कमा रहे हैं.
केशियाडी निवासी लिपटन दास को यहां से रोजाना 500 अंडे मिलते हैं. जिसे वह बाजार में बेचकर पैसे कमाते हैं. बहुत से लोग घर से बत्तख खरीदते हैं. वहां से भी पैसा आता है. एक बत्तख 250 रुपए में बिकती है. बाजार में बतख के अंडे की भी मांग है. खड़गपुर और बेलदार बाजारों में अंडे पांच-सात रुपए प्रति पीस के हिसाब से बिकते हैं. बत्तखों को रोज सुबह चराने ले जाना पड़ता है.
हालांकि, एक समस्या है क्योंकि क्षेत्र में ज्यादा जगह में तालाब नहीं है. आने वाली गर्मी में पानी की कमी के कारण बत्तख पालन बाधित होगा. लिपटन दास के मुताबिक इन बत्तखों को पालने के लिए उन्होंने डेढ़ साल पहले अलग-अलग इलाकों से बत्तख खरीदी थी. पहले तो उसने करीब 500 बत्तखें पाल रखी थीं. बाद में इसमें कमी आई.
इससे अच्छी कमाई होती है. झंटू ने कहा, जिनके पास बड़ा क्षेत्र और तालाब है वे बत्तख आसानी से पाल सकते हैं. आप इससे कमा सकते हैं. बत्तख पालन करने से कमाई अच्छी होती है.
अपने देश में पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्य बत्तख पालन में सबसे आगे हैं. वहीं खेतों में गिरे अनाज के दाने, कीड़े मकोड़े, छोटी मछलियां, मेंढक, पानी में रहने वाले दूसरे कीड़े और शैवाल इनके आहार हैं. ऐसे में भोजन पर विशेष खर्च नहीं करना पड़ता. वहीं मुर्गियों के मुकाबले बत्तख 40 से 50 अंडे ज्यादा देती हैं और अंडों का वजन भी 15-20 ग्राम ज्यादा होता है.
बत्तख 95 से 98 फीसदी अंडे सुबह 9 बजे तक दे देती हैं. इससे किसानों को फायदा होता है. वे सुबह ही अंडे इकट्ठा कर बाकी के समय में वे अपने काम निपटा सकता है.
4 महीने की उम्र में नर व मादा की पहचान हो जाती है. अगर आहार पर ध्यान दिया जाए तो बत्तखें 5 माह बाद अंडे देने लगती है. इस समय बत्तख के आहार में जरूरी पोषक तत्व शामिल करें.
इस तरह बत्तख पालन कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. किसान चाहें तो खेती और मछली पालन के साथ भी बत्तख पालन कर सकते हैं. इससे एक ही समय में मुनाफे की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.