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किसान फरवरी व मार्च के महीने में करेले की खेती को वैज्ञानिक तकनीक से कर बेहतर उत्पादन और मुनाफा प्राप्त कर सकते है. इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली तथा 6.5 से 7.5 पीएच मान के बीच की मिट्टी काफी उपयुक्त मानी जाती है.
किसान फरवरी व मार्च के महीने में करेले की खेती को वैज्ञानिक तकनीक से कर बेहतर उत्पादन और मुनाफा प्राप्त कर सकते है. इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली तथा 6.5 से 7.5 पीएच मान के बीच की मिट्टी काफी उपयुक्त मानी जाती है. कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली के हेड सह वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. रविंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि करेले की फसल को मध्यम गर्म तापमान की आवश्यकता होती है. इस लिए करेले की खेती करने का उत्तम समय फरवरी और मार्च महीना होता है जिसके कारण इस समय पर फसल लगाने से बेहतर उत्पादन होता है.
किसान करेले की रोपनी बीज और पौधे दोनों विधि से कर सकते है. उन्होंने कहा कि करेले से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए गर्म और आद्र जलवायु काफी उपयुक्त माना जाता है. फसल की बेहतर बढ़वार के लिए न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेट और अधिकतम तापमान 35 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम में करेले को जनवरी से मार्च के महीने तक लगाया जा सकता है. करेले में विटामिन ओर खनिज पदार्थ के साथ-साथ ढ़ेर सारे औषधीय गुण भी पाएं जाते है जिससे इसकी मांग हमेशा मार्केट में हरे सब्जियों के रूप में बनी रहती हैं.
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि करेले की प्रमुख भारतीय किस्मों में ग्रीन लांग, फैजाबाद स्माल, जोनपुरी, झलारी, सुपर कटाई, सफेद लांग, ऑल सीजन, हिरकारी आदि प्रमुख किस्में है. किसान इन प्रभेदों की खेती कर बेहतर से बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि करेला लगाने से पूर्व किसान खेतों की जुताई अच्छे से करें तथा खेत से खरपतवार निकाल दें.
इसके बाद खेत में वर्मी कंपोस्ट खाद 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालकर उसे अच्छे से मिला दें. इसके अलावे किसान प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उर्वरक की अनुशंसित मात्रा 50 से 100 किग्रा नाइट्रोजन, 40 से 60 किग्रा फास्फोरस पेंटोक्साइड और 30 से 60 किग्रा पोटेशियम ऑक्साइड जैसे उर्वरक डालकर खेत को तैयार कर लें.
फूल आने के समय नाइट्रोजन देना बेहतर होता है. करेले के बीज को बोने के लिए 2 से 3 बीज 2.5 से 5 मीटर की दूरी पर बोना अच्छा रहता है. खेतों में बीज को बोने से पहले किसान 24 घंटे तक उसे पानी में भिगो लें. इससे अंकुरण अच्छा होता हैं. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि किसान फसल को खरपतवारों से मुक्त रखने के लिए कम से कम 2 से 3 बार निराई और गुड़ाई का काम जरूर करें.
सामान्यत: पहली निराई बुवाई के 30 दिन बाद की जाती है. इसके बाद की निराई खरपतवार को देखने के अनुसार करनी चाहिये. करेले में फल आने में बुआई से लगभग 55 से 60 दिनों का समय लगता हैं. इतने दिनों के बाद फल की तुड़ाई लगभग शुरू हो जाती है. इसके बाद किसान 2 से 3 दिनों के अंतराल पर तुड़ाई करते रहते हैं.