होमफोटोएग्रीकल्चरइस किसान ने कर दिया कमाल, पहाड़ी पर नहीं ब्लकि सूखे इलाके में उगाए सेब, हुई लाखों में कमाई

इस किसान ने कर दिया कमाल, पहाड़ी पर नहीं ब्लकि सूखे इलाके में उगाए सेब, हुई लाखों में कमाई

इस किसान ने कर दिया कमाल, पहाड़ी पर नहीं ब्लकि सूखे इलाके में उगाए सेब, हुई लाखों में कमाई
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By Local 18  Feb 22, 2023 1:51:00 PM IST (Updated)

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SUMMARY

Business Idea : सांगली जिले के जाट तालुका को बारहमासी सूखा क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. यहां के प्रायोगिक किसान काकासाहेब सावंत ने सेब का बाग लगाया है.

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सांगली जिले के जाट तालुका को बारहमासी सूखा क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. बारिश कम होने से किसानों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यहां के किसानों ने पानी के लिए कर्नाटक जाने की चेतावनी दी थी. उस समय पूरे प्रदेश में जाट तालुका की चर्चा थी.

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अब इस सूखाग्रस्त क्षेत्र में किसान द्वारा किए गए प्रयोग की हर जगह चर्चा हो रही है. कश्मीर में स्वर्ग माने जाने वाले सेब जाटों में उगाए जाते हैं.

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जाट तालुका के अंतराल के काकासाहेब सावंत एक प्रयोगधर्मी किसान हैं. कुछ सालों से वह अपने खेत में सेब (Apple) लगाने की सोच रहे थे.

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सेब की खेती के लिए ठंडे मौसम की जरूरत होती है. इसलिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) जाकर सेब के किसानों से चर्चा की. सावंत शुरुआत में हिमाचल प्रदेश से 'हरमन 99' किस्म के 150 पौधे लेकर आए. इसे एक एकड़ में लगाया गया था.

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इनमें से 25 पौधे कुछ ही दिनों में तेज धूप के कारण मर गए. लेकिन, उचित देखभाल के बाद इनमें से 125 पौधे बच गए.

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चूंकि इस क्षेत्र में पानी की कमी है, उन्होंने ड्रिप के माध्यम से इन पौधों को पानी और खाद की कुछ आवश्यक खुराक दी. साथ ही समय-समय पर गोबर का भी प्रयोग किया जाता था.

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दो साल के रोपण के बाद अब हर पेड़ में 30 से 40 सेब आ रहे हैं. एक सेब का वजन 100 से 200 ग्राम होता है. मौजूदा बाजार भाव को देखते हुए उन्हें प्रति पेड़ 600 से 1600 रुपये की आमदनी की उम्मीद है. पूरे बाग से 75 हजार से 2 लाख रुपए की आमदनी होने की उम्मीद है.

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सावंत के बगीचे के सेब और हिमाचल प्रदेश के सेब में कोई अंतर नहीं है. फल का लाल रंग, स्वाद और गंध भी एक जैसा होता है.

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सावंत के इस अभिनव प्रयोग से जम्मू-कश्मीर की तरह अब सावंत के भोंडी माला के सेब के बाग लहलहाने लगे हैं. एक किसान सावंत ने दिखाया है कि जाट की तरह चट्टानों से भी सोना निकाला जा सकता है, अगर आप अध्ययन में दृढ़ संकल्प और दृढ़ता जोड़ते हैं.

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