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Business Idea: अगर आप भी मोटे पैसे कमाना चाहते हैं लेकिन आपके पास कम पैसे हैं, तो हम आपके लिए शानदार तरीका लेकर आए हैं.
Business Idea: घर में करें मशरूम (Mushroom) की खेती, हुगली मशरूम की खेती कम समय में वैकल्पिक आय का रास्ता दिखा रही है. मशरूम की खेती के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती है मशरूम की खेती घर में कम जगह होने पर ही की जा सकती है. हुगली के गोघाट ब्लॉक नंबर दो के बेंगई पंचायत के चांदीपुर गांव का तपन मंडल वैकल्पिक आजीविका की राह दिखा रहा है.
मशरूम उगाने में पंचायत ने उनकी मदद की है. हुगली जिले के अलग-अलग घरों में अगर मशरूम की खेती की जाए तो आम लोगों को कमाई की दिशा नजर आ सकती है. वहीं दूसरी ओर बिक्री इसलिए होगी क्योंकि मशरूम में हाई प्रोटीन होता है. इस समय बाजार में भारी मात्रा में बिक्री हो रही है और बड़ी कंपनियां भी पैक्स में बिक्री कर रही हैं. नतीजतन, किसान बेहतर आय की तलाश में हैं.
इस संबंध में तपन बाबू ने मशरूम की खेती के बारे में बताया कि पहले तिनकों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर छह से सात घंटे के लिए भिगो देना चाहिए, इसके बाद बीजों को तोड़ लेना चाहिए. बीजों को चार से पांच चरणों में फैलाया जाता है. इन्हें धीरे-धीरे रस्सी पर लटका दिया जाता है और फिर एक महीने के बाद इस मशरूम की कटाई की बात कही जाती है.
ठीक से हो जाने के बाद हम पैकेट को सील करके बाजार में बेचते हैं, जिससे अच्छी आमदनी होती है. उन्होंने कहा कि इतनी बिक्री है कि मैं समय पर प्रबंधन नहीं कर सकता. बेंगई ने पंचायत के सहयोग से इस पूरे मशरूम की नि:शुल्क खेती कराई है. उन्होंने मशरूम की खेती से लाभ का हिस्सा दिखाने के लिए पंचायत की सराहना की.
दूसरी ओर, बेंगई ग्राम पंचायत की मुखिया मेनका मलिक ने कहा कि परिवार बहुत गरीब था और पहले मशरूम उगाता था. नतीजतन, जब उन्होंने इस खेती को करने की पहल की, तो उन्होंने 100 दिनों के काम के जरिए इस परियोजना को अंजाम दिया. करीब छह लाख दस हजार रुपये खर्च कर इसे बनाया गया है. अब तपन मंडल मशरूम की खेती कर कमाई का जरिया तलाश रहे हैं.
खेती के स्तर पर तीन तरह के मशरूम का उत्पादन (mushroom production) होता है. सितंबर महीने से नवंबर तक ढिगरी मशरूम और उसके बाद के महीने में बटन मशरूम (button mushroom) उगा सकते हैं. बटन मशरूम फरवरी-मार्च तक चलती है. इसके बाद मिल्की मशरूम की फसल उगाई जाती है जो जून और जुलाई तक चलती है. इसलिए किसान तीन तरह के मशरूम-ढिगरी, बटन और दुधिया या मिल्की मशरूम (milky mushroom) का उत्पादन कर साल भर अच्छी कमाई कर सकते हैं.
मशरूम के बीज को स्पॉन कहते हैं. मशरूम का अच्छा उत्पादन चाहिए तो बीज हमेशा सही लेना चाहिए. अच्छे बीज का मतलब है अच्छा उत्पादन. बीज ज्यादा पुराना भी नहीं होना चाहिए, नहीं तो इसका उत्पादन घट सकता है. मशरूम कंपोस्ट खाद पर उगाया जाता है. मशरूम का बीज कंपोस्ट खाद के दो से ढाई प्रतिशत की मात्रा में लेना चाहिए. कंपोस्ट को या तो जमीन पर बिखेर दें या पेटी में भी रख सकते हैं. खाद पर मशरूम का बीज छिड़क दें. उसके ऊपर भी खाद की एक परत चढ़ा दें. लोग बीज के ऊपर मिट्टी की परत भी चढ़ाते हैं. एक क्विंटल कंपोस्ट में डेढ़ किलो तक बीज लगते हैं.
देश के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां मशरूम की मौससी खेती होती है. कुछ इलाकों में सालभर मशरूम उगाए जाते हैं. हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के पहाड़ी और समतल इलाके में सिर्फ ठंड के दिनों में इसकी खेती होती है. देश के अन्य इलाकों में सालभर इसकी खेती की जाती है. इसके अलावा व्यावसायिक स्तर पर चंडीगढ़, गोवा, देहरादून, ऊंटी, चेन्नई और गुरुग्राम में इसके प्लांट लगे हैं. यहां साल भर इसकी फसल उगाई जाती है और उसे निर्यात किया जाता है.
मशरूम की खेती के साथ खास बात यह है कि इसके लिए बड़े-बड़े प्लॉट की जरूरत नहीं है. आप अगर छोटे किसान हैं और आपके पास बहुत ज्यादा स्पेस नहीं है, तब भी आप छोटी-छोटी पेटियों के सहारे इसकी खेती कर अच्छा पैसा कमा सकते हैं. सबकुछ निर्भर करता है अच्छे बीज और फसल की देखभाल पर. इसका भी पूरा खयाल रखना पड़ता है कि फसल निकालने के बाद उसे कितने सही ढंग से पैक कर बाजार तक पहुंचाया जा रहा है.
अनुमान के मुताबिक, मशरूम की लागत खर्च से तीन गुना ज्यादा तक कमाई हो सकती है. एक छोटे से स्पेस में सालभर में 3-4 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है. बाजार में इसकी कीमत 300-400 रुपये किलो तक होती है. सही देखभाल के साथ 4-5 क्विंटल कंपोस्ट में 2 हजार किलो तक मशरूम उगाया जा सकता है. बाजार में 300-400 रुपये बिकने वाला मशरूम अगर किसान व्यापारियों को 150 रुपये किलो में बेचता है, तब भी उसे कई लाख की कमाई हो सकती है.