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Busisness Idea: सुंदरबन के दूरस्थ क्षेत्रों के युवाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. वन विभाग घर में ही मधुमक्खी पालन कर शहद एकत्रित कर कमाई का नया जरिया दिखा रहा है.
सुंदरबन के दूरस्थ क्षेत्रों के युवाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. वन विभाग घर में ही मधुमक्खी पालन कर शहद एकत्रित कर कमाई का नया जरिया दिखा रहा है.
सरकार की पहल शहद की खेती सुंदरबन के गरीब बच्चों के चेहरे पर मुस्कान ला रही है. सुंदरबन के बहुत से लोग जंगल में मछली और केकड़े पकड़कर या शहद इकट्ठा करके अपना गुजारा करते हैं. लेकिन उस काम में हर पोजिशन में रिस्क होता है.
आप 1 साल में करीब 10,000 किलोग्राम शहद तैयार करते हैं. अगर शहद की कीमत 250 रुपये प्रति किलोग्राम है, तो आप सालाना 25 लाख रुपये का शहद बेच सकते हैं. इस बिजनेस के सभी खर्चों को निकालकर आप सालाना करीब 8-9 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. बिजनेस बढ़ने के साथ आपकी कमाई भी बढ़ती जाएगी.
अगर आप शहद प्रोसेसिंग बिजनेस करना चाहते हैं, तो आपको सरकार से 65 फीसदी तक का कर्ज और खादी और ग्रामोद्योग आयोग से 25 फीसदी की सब्सिडी मिल सकती है. इसका मतलब यह हुआ कि आपको सिर्फ 10 फीसदी तक ही निवेश करना होगा. आप 1.5 से 2 लाख रुपये निवेश कर आसानी से यह बिजनेस शुरू कर सकते हैं. माइक्रो, स्माल एंड मिडियम इंटरप्राइजेज मिनिस्ट्री (MSME) के तहत आने वाला खादी और ग्रामोद्योग आयोग कई कार्यक्रम चला रहा है. आयोग हनी हाउस और प्रोसेसिंग प्लांट के लिए सब्सिडी देता है. कई बड़ी कंपनियां शहद तैयार कर बेच रही हैं.
जंगल में बाघ के हमले में कई लोगों की मौत हो चुकी है. सुंदरवन की वन निर्भरता को कम करने के लिए प्रशासन लंबे समय से प्रयास कर रहा है. वन विभाग सुंदरबन के लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवसाय तलाशने की कोशिश कर रहा है.
कुलताली के मोईपीठ क्षेत्र में मधुमक्खी पालन से गांव के लोगों को आत्मनिर्भर बनाया गया है. इस क्षेत्र के बहुत से लोग शहद लेने के लिए जंगल जाते थे. उस काम को करते हुए मुझे कई बार खतरे में भी पड़ना पड़ा. बाघ-मगरमच्छ के हमले में कई लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि वन विभाग की मदद से कई लोग मधुमक्खी पालन कर आत्मनिर्भर बने हैं.
उनका दावा है कि पहले के मुकाबले नए तरीकों से खेती करने से आमदनी ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि वे जंगल नहीं जाना चाहते. स्थानीय निवासी दीपक मोंडल ने कहा, "मैंने 40 लोगों के साथ यह काम शुरू किया. अब 100 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं. हम उन सभी लोगों को लाने की कोशिश कर रहे हैं जो इस काम में भाग लेने के लिए जंगल में जाते हैं. पहले से ही बाघ पीड़ितों के परिवार के सदस्य भी हमारे साथ काम कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि पहले शहद जंगल से लाया जाता था और स्थानीय स्तर पर बेचा जाता था. आमदनी कम थी. लेकिन वर्तमान में यह शहद फ्लिप कार्ट, अमेजन, बिस्वा बांग्ला के जरिए बेचा जा रहा है. नतीजतन, आय की मात्रा में बहुत वृद्धि हुई है.