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बक्सर जिले के सिमरी प्रखंड के अलावा ब्रह्मपर, डुमरांव और सदर इलाके के किसानों ने पारम्परिक खेती से हट कर सब्जियों की खेती शुरू कर दी है. किसान हरी मिर्च उत्पादन को व्यवसाय के रूप में चुन अपनी आर्थिक स्थिति को बदलने में लगे है.
बक्सर जिले के सिमरी प्रखंड के अलावा ब्रह्मपर, डुमरांव और सदर इलाके के किसानों ने पारम्परिक खेती से हट कर सब्जियों की खेती शुरू कर दी है. किसान हरी मिर्च उत्पादन को व्यवसाय के रूप में चुन अपनी आर्थिक स्थिति को बदलने में लगे है.
हरी मिर्च की खेती जिले के चार प्रखंडो में बड़े पैमाने पर हो रही है इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. सिमरी प्रखंड के किसान रामाज्ञा चौधरी तीन एकड़ में हरी मिर्च की खेती कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि उनका पूरा परिवार खेती से जुड़ा हुआ है और वे 20 सालो से खेती करते आ रहे है. इस बार उन्होंने मिर्च की खेती 3 एकड़ में की है जिसका लागत प्रति एकड़ 30 हजार का लागत आता है जबकि मिर्च 10 माह तक फसल देता है.
उन्होंने बताया कि यदि फसल के हिसाब से बाजार अच्छा रहा तो लागत का डबल मुनाफा कमा लेते है नही तो बाजार भाव में गिरावट आने पर लागत निकल कर रहा जाता है. मिर्च को खेत से तोड़ने में 30 से 40 मजदूर एक एकड़ में लगते है जिनको 300 रु प्रति मजदूर के हिसाब से मजदूरी देनी होती है.
एक एकड़ में 32 क्विंटल मिर्च निकलता है. उन्होंने बताया कि यहां का मिर्च अपने तीखे स्वाद के लिए बाहर के बड़े सब्जी मंडियों में प्रसिद्ध है. इसका बिक्री वे लोग लोकल बाजार भोजपुर में करते है और वहां से व्यापारियों के द्वारा धनबाद,बोकारो, बनारस व कलकत्ता ले जाया जाता है.
हालांकि पिछले साल की तुलना में इस बार मिर्च का बाजार डाउन चल रहा है जिससे किसानों को पहले इतना मुनाफा नही मिल रहा है.