होमफोटोएग्रीकल्चरBusiness Idea: इंजीनियर किसान चना, सूरजमुखी, सरसों उगाकर कमा रहा है लाखों

Business Idea: इंजीनियर किसान चना, सूरजमुखी, सरसों उगाकर कमा रहा है लाखों

Business Idea: इंजीनियर किसान चना, सूरजमुखी, सरसों उगाकर कमा रहा है लाखों
Profile image

By Local 18  Feb 23, 2023 4:16:00 PM IST (Updated)

Switch to Slide Show
Switch-Slider-Image

SUMMARY

देवभूमि द्वारका सहित हलार पंथक में कई किसानों ने पारंपरिक कृषि को त्याग दिया है और आधुनिक कृषि की ओर झुक रहे हैं. देवभूमि द्वारका जिले के सिद्धपुर गांव के किसान दिनेशभाई परमार अन्य किसानों के लिए आदर्श बन गए हैं.

एग्रीकल्चर
Image-count-SVG1 / 6
(Image: )

देवभूमि द्वारका सहित हलार पंथक में कई किसानों ने पारंपरिक कृषि को त्याग दिया है और आधुनिक कृषि की ओर झुक रहे हैं. देवभूमि द्वारका जिले के सिद्धपुर गांव के किसान दिनेशभाई परमार अन्य किसानों के लिए आदर्श बन गए हैं. इंजीनियरिंग की पढ़ाई और नौकरी करने की बजाय 14 साल से प्राकृतिक खेती से कमाई कर रहे हैं. साथ ही विशेष फसलों का मूल्यवर्धन कर मूंगफली के बीज व तेल, चना दाल, सेव व आटा बनाकर बेच रहे हैं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.

एग्रीकल्चर
Image-count-SVG2 / 6
(Image: )

लोग गाय आधारित कृषि की ओर रुख कर रहे हैं. जैविक खेती के माध्यम से न केवल मूंगफली, कपास, दालें बल्कि विभिन्न फलों की फसलें भी लगाई जा रही हैं. लोग इसे आय का नया साधन बना रहे हैं. रासायनिक खादों के लगातार प्रयोग से प्रकृति दुग्ध हो रही है और मिट्टी अनुपजाऊ हो रही है और लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे में जैविक खेती समय की मांग है.

एग्रीकल्चर
Image-count-SVG3 / 6
(Image: )

उस समय खंभालिया तालुक के सिद्धपुर गांव के रहने वाले और मैकेनिकल में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई करने वाले दिनेशभाई परमार अध्ययन के उद्देश्य से विभिन्न कंपनियों में जा रहे थे. इस दौरान दिनेशभाई से जुड़कर जीवन में सफलता हासिल करने का विचार आया मशीनों के साथ काम करते हुए प्रकृति और जीवन में आत्मनिर्भर बन गए और अपने पिता द्वारा शुरू की गई प्राकृतिक खेती में शामिल हो गए दिनेशभाई ने अपनी 10 बीघा जमीन में 2017 से प्राकृतिक कृषि यज्ञ की शुरुआत की.

एग्रीकल्चर
Image-count-SVG4 / 6
(Image: )

दिनेशभाई ने कहा कि अगर मैं किसी कंपनी में काम करता तो मेरी सैलरी 30 से 40 हजार रुपए होती. लेकिन मेरे पिता 2007 से जैविक खेती कर रहे थे और मैं भी उनके साथ खेती करना चाहता था, इसलिए मैंने काम करने के बजाय खेती में शामिल होने का फैसला किया. दिनेशभाई के मुताबिक वह अपनी जमीन में सर्दी, गर्मी और मानसून के मौसम के हिसाब से मूंगफली, चना, राई, सूरजमुखी लगाते हैं. जीवामृत और घनजीवामृत के प्रयोग से 5 से 6 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय प्राप्त होती है.

एग्रीकल्चर
Image-count-SVG5 / 6
(Image: )

इस साल दिनेशभाई को मूंगफली का उत्पादन मिल चुका है, जबकि उनके खेत में वर्तमान में चना, सूरजमुखी और रायाडो, सरसों की फसल लगी हुई है। इसके अलावा हम जैविक रूप से उगाए गए उत्पादों से मूंगफली का तेल, मूंगफली के पैकेट, मूंगफली का मक्खन बनाते हैं. इसके अलावा हम गिर गाय, चांडाल, चनालोत, सेव, सूर्यमुखी के फूल से देसी घी के पैकेट बेचते हैं.

एग्रीकल्चर
Image-count-SVG6 / 6
(Image: )

जैविक कृषि कृषि की एक ऐसी पद्धति है जिसमें किसान को बाजार या नकदी से उपज का एक पैसा भी नहीं खरीदना पड़ता है. पैसे की आवश्यकता नहीं है. ये सारा सामान खंभालिया, द्वारका, जामनगर, राजकोट, अहमदाबाद जैसे शहरों में बेचते हैं.

बिजनेस की लेटेस्ट खबर, पर्सनल फाइनेंस, शेयर बाजार (स्टॉक मार्केट) की ब्रेकिंग न्यूज और स्टॉक टिप्स, इन्वेस्टमेंट स्कीम और आपके फायदे की खबर सिर्फ CNBCTV18 हिंदी पर मिलेगी. साथ ही अपने फेवरेट चैनल सीएनबीसी आवाज़ को यहां फोलो करें और लाइक करें हमें फेसबुक और ट्विटर पर.
arrow down
CurrencyCommodities
CompanyPriceChng%Chng