SUMMARY
जयनगर में बिना जुताई वाली सूरजमुखी और मक्का की फसल की प्रायोगिक खेती शुरू हो गई है. इस खेती से सीमांत किसान जयदेव पुरकैत को फायदा हुआ है.
जयनगर में बिना जुताई वाली सूरजमुखी और मक्का की फसल की प्रायोगिक खेती शुरू हो गई है. इस खेती से सीमांत किसान जयदेव पुरकैत को फायदा हुआ है. उसकी सफलता के बाद ग्रामीण इस खेती को देखने के लिए वहां आ गए. सुंदरबन के बड़े इलाके में पानी की किल्लत है. कई जगहों पर खेती के लिए पानी उपलब्ध नहीं है. उस समस्या के समाधान के लिए जयनगर द्वितीय प्रखंड कृषि कार्यालय ने पहल की है. समस्या के समाधान के लिए किसानों को ड्रिप मशीन मुहैया कराई गई है. जिसकी सहायता से पानी को बूंद-बूंद करके एक निश्चित स्थान पर टपकाया जा रहा है. नतीजतन पानी की बर्बादी को रोका जा रहा है.
साथ ही किसानों को यह भी दिखाया जाता है कि बिना जुताई के कैसे खेती करनी चाहिए. पूरी प्रक्रिया को ड्रिप सिंचाई और नो टिलेज सिस्टम कहा जाता है. जिससे किसानों को लाभ होने की उम्मीद है. इस क्षेत्र में सूरजमुखी के फूलों की खेती सर्दियों की शुरुआत में ही शुरू हो जाती है. प्रायोगिक खेती इस प्रक्रिया को उस फूल की खेती के लिए लागू करना जारी रखती है.
मूल रूप से मानसून के दौरान निचले इलाकों में पानी जमा हो जाता है. किसानों को पानी सुखाने और जमीन तैयार करने में काफी समय लगता था.
हालांकि इस बार किसानों को इस विधि से जमीन पर कोई कर्षण नहीं करना पड़ेगा. वे सीधे जमीन में बीज बो देंगे. भूमि में कोई बाहरी परिवर्तन किए बिना. ऐसे में जमीन की नरम मिट्टी पर एक निश्चित दूरी पर दो दाने बोए जा रहे हैं.
इस खेती से किसान 1 बीघा जमीन में करीब 3 क्विंटल सूरजमुखी के बीज उगा सकते हैं. जाड़े के अंत में उस फसल में फल आने लगे हैं. मंगलवार को कृषि अधिकारी खेती देखने पहुंचे थे.