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Fertiliser Latest News : सरकार फर्टिलाइजर सेक्टर को बड़ी राहत देने की तैयारी में है. ये राहत तीन मोर्चे पर मिल सकती है. CNBC आवाज़ की एक्सक्लूसिव खबर...
फर्टिलाइजर सेक्टर को जल्द मिल सकती है राहत, CNBC आवाज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार यूरिया का फिक्स्ड कॉस्ट बढ़ाने पर विचार कर रही है. P&K फर्टिलाइजर के लिए MRP फिर से बहाल हो सकती है. फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया का कहना है कि सरकार से जल्द इस पर फैसला होने की उम्मीद है.
सूत्रों के मुताबिक फर्टिलाइजर मंत्रालय यूरिया का मिनिमम फिक्स्ड कॉस्ट बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. इस मुद्दे पर इंडस्ट्री और फर्टिलाइजर मंत्रालय के बीच चर्चा भी हो चुकी है. दरअसल यूरिया उत्पादन में कच्चे माल को छोड़कर जो प्लांट मशीन, सैलेरी जैसे फिक्स्ड कॉस्ट है उसका सरकार समय समय पर आकलन करती है. ताकि यूरिया के उत्पादन लागत और बिक्री की कीमत के बीच का सटीक अंतर निकाला जा सके, और उस हिसाब से कंपनियों को सब्सिडी का भुगतान होता है.
लेकिन 2002-03 के बाद से अब तक फिक्स्ड कॉस्ट में सरकार ने कोई बदलाव नहीं किया है. जो कि 50 किलो यूरिया के बैग पर 268 रुपए फिक्स्ड है.हालांकि 2014 में NPS-III के दौरान इसमें मामूली बढ़ोतरी की गई थी. फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FAI) का कहना है कि फिक्स्ड कॉस्ट नहीं बढ़ाने से यूरिया इंडस्ट्री चलाना मुश्किल होता जा रहा है.
FAI के चेयरमैन के एस राजू के मुताबिक फिक्स्ड कॉस्ट में प्रॉफिट आफटर टैक्स (PAT) का 12 परसेंट सालाना के हिसाब से बढ़ोतरी करना चाहिए.इसके अलावा FAI ने P&K फर्टिलाइजर के लिए बाजार आधारित MRP की व्यवस्था फिर से बहाल करने की मांग की है. साथ ही P&K फर्टिलाइजर यूनिट्स के MRP तय करते वक्त इनडायरेक्ट टैक्स को बाहर रखने की भी मांग की गई है. FAI के मुताबिक "सरकार इन प्रस्तावों पर विचार कर रही है. औऱ जल्द ही इस मोर्चे पर फैसला होने की संभावना है.
सरकार के अलावा अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भी फर्टिलाइजर सेक्टर को राहत मिलती दिख रही है. नेचुरल गैस और फर्टिलाइजर के लिए कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें जो पहले काफी बढ़ गई थीं उसमें अब गिरावट आई है. इंडियन पोटाश लिमिटेड के डॉ पी एस गहलोत का मानना है कि इसकी वजह से अगले कारोबारी साल में फर्टिलाइजर सब्सिडी की जरूरत में करीब 25% की कमी देखने को मिल सकती है. हालांकि लॉन्ग टर्म के लिए फर्टिलाइजर इंडस्ट्री ने 2030 तक रोडमैप बनाया है. जिसके तहत इंडस्ट्री को अभी जितनी एनर्जी की जरूरत है उसका 50 परसेंट रिन्यूअबल सोर्स से लिया जाएगा. इस थीम पर 8 और 9 दिसंबर को एनुअल सेमिनार का भी आयोजन किया जा रहा है.