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Strawberry farming in India : भारत में स्ट्रॉबेरी (Strawberry Farming) की खेती कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊपरी हिस्सों में की जाती है. इसे पहाड़ी और ठंडे इलाकों में बोया जाता है. इन राज्यों के अलावा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में भी किसान (Farmer) अब स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं
महेश पाटिल ने नौकरी छोड़कर खेती का रास्ता चुना है. वैसे तो आमतौर पर स्ट्रॉबेरी ठंडे इलाके में होती है. लेकिन महेश पाटिल ने सूखाग्रस्त इलाके में ये खेती कर कमाल कर दिया है. उनकी चर्चा पूरे राज्य में हो रही है.
सामान्य तौर पर स्ट्रॉबेरी की बुवाई सितंबर और अक्टूबर में की जाती है. लेकिन ठंडी जगहों पर इसे फरवरी और मार्च में भी बोया जा सकता है. वहीं पॉली हाउस (Playhouse) में या संरक्षित विधि से खेती करने वाले किसान अन्य महीनों में भी बुवाई करते हैं. स्ट्रॉबेरी की बुवाई से पहले की तैयारी बहुत जरूरी है. खेत की मिट्टी पर विशेष काम करना पड़ा है. इन सभी बातों का खयाल रखते हुए उन्होंने इस काम को अंजाम दिया है.
महेश ने अपने इस फैसले को सफल भी बनाया है. उन्होंने वर्धा के कटरी नामक एक छोटे से गाँव में स्ट्रॉबेरी की खेती की.
महेश ने महज आधा एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती की.
महेश ने खेती में 2 लाख रुपए खर्च किए, जिससे करीब 4 लाख रुपए मिलने का अनुमान है.
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि पूरी दुनिया में स्ट्रॉबेरी की अलग-अलग 600 किस्में मौजूद हैं. हालांकि भारत में व्यावासायिक खेती करने वाले किसान कमारोसा, चांडलर, ओफ्रा, ब्लैक मोर, स्वीड चार्ली, एलिस्ता और फेयर फॉक्स जैसी किस्मों का इस्तेमाल करते हैं. भारत के मौसम के लिहास से ये किस्में सही रहती हैं.
स्ट्रॉबेरी की खेती से पहले सितंबर के पहले सप्ताह में किसानों को 3-4 बार रोटर से जुताई करा देना चाहिए. फिर गोबर का खाद खेत में डाल देने से किसानों को लाभ मिलता है. किसान रासायनिक काद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
ये सब करने के बाद खेत में बेड बनाना पड़ता है. बेड़ की चौड़ाई एक से दो फीट के बीच होती है और एक दूसरे से इतनी ही दूरी रखी जाती है. पौध लगाने के लिए प्लास्टिक मल्चिंग की जाती है और इसमें एक तय दूरी पर छेद कर दिया जाता है. पौध लगाने के बाद ड्रिप या स्प्रिकंलर से सिंचाई कर देनी चाहिए. इसके बाद समय-समय पर नमी को ध्यान में रखते हुए सिंचाई करना जरूरी है. स्ट्रॉबेरी से अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए खाद बहुत जरूरी है. आप मिट्टी और स्ट्रॉबेरी की किस्म के आधार पर खाद दे सकते हैं. इसके लिए कृषि वैज्ञानिक से सलाल ले लेनी चाहिए.