SUMMARY
Multi-state cooperative societies (amendment) bill 2022-को-ऑपरेटिव सोसाइटी एक ऐसी संस्था होती है जिसमें 10 से अधिक सदस्य मिलकर यानी सामूहिक कोशिश से कल्याणकारी काम करते हैं. देश में डेयरी, चीनी, खाद और हाउसिंग जैसे क्षेत्रों में सहकारिता की पकड़ मजबूत है. लेकिन सहकारी संस्थाओं की स्थिति काफी खराब है.
मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट -2022 को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पास होने की उम्मीद है. बिल को कैबिनेट की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. सरकार का कहना है कि को-ऑपरेटिव सोसायटीज को बेहतर ढंग से चलाने के लिए और इसमें हो रही अनियमिताओं को दूर करने के लिए ये संशोधन किया जा रहा है. 8 मार्च 2021 तक देश में 1466 समितियां थीं. जिसमें से सबसे ज्यादा 567 महाराष्ट्र में हैं. मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी एक से अधिक राज्यों में काम करती हैं.
को-ऑपरेटिव सोसाइटी एक ऐसी संस्था होती है जिसमें 10 से अधिक सदस्य मिलकर यानी सामूहिक कोशिश से कल्याणकारी काम करते हैं. देश में डेयरी, चीनी, खाद और हाउसिंग जैसे क्षेत्रों में सहकारिता की पकड़ मजबूत है. लेकिन सहकारी संस्थाओं की स्थिति काफी खराब है.सबसे सफल सहकारी संस्थान गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में हैं. जबकि उत्तर के राज्यों की स्थिति बेहद खराब है. अगर यहां सहकारी संस्थानों को दुरुस्त कर दिया जाए तो लाखों लोगों की जिंदगी बदल जाएगी.
लोगों को रोजगार मिलेगा. सहकारिता की वजह से ही भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादन देश है. इसे मजबूत होने से ग्रामीण क्षेत्र में काफी तरक्की हो सकती है.इसकी भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की जरूरत है. को-ऑपरेटिव संस्थानों में प्रोफेशनल की एंट्री का दांव एक अच्छा कदम है.
अमूल, गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड, आणंद, इफको, इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड सागोसर्व को-ऑपरेटिव, सेलम, तमिलनाडु वारना को-ऑपरेटिव, महाराष्ट्र इंडियन कॉफी हाउस कृभको, कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड नाफेड, भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित केरल की लेबर को-ऑपरेटिव देश में सबसे सफल है.
सहकारी बैंकों में बदलाव की शुरुआत जून 2020 में ही हो गई थी. पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉ-ऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) के बारे में आप सब जानते ही होंगे. जिसके सीईओ ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर फंड को रियल एस्टेट डेवलेपर्स को डाइवर्ट कर दिया, जिसका खामियाजा बैंक के हजारों ग्राहकों को उठाना पड़ा.पीएमसी बैंक की सात राज्यों में 137 शाखाएं हैं. पीएमसी बैंक की तरह देश में एक हजार से अधिक सहकारी बैंक हैं. आरबीआई के मुताबिक, इन बैंकों के पास करीब पांच लाख करोड़ रुपये हैं.
इस घोटाले के बाद केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर 1482 शहरी सहकारी बैंकों और 58 मल्टी स्टेट सहकारी बैंकों को आरबीआई की निगरानी में रखने का फैसला लिया था.इस बदलाव से पहले सहकारी बैंकों की निगरानी का जिम्मा आरबीआई की कोऑपरेटिव बैंक सुपरवाइजरी टीम का होता था.लेकिन सामान्य तौर पर कोऑपरेटिव बैंक छोटे लोन बांटते हैं लिहाजा यह सेक्शन कम सक्रिय रहता है. लिहाजा गड़बड़ियों हो जाती थीं. पवार को भारतीय रिजर्व बैंक की दखलंदाजी भी बुरी लग रही है और मंत्रालय का गठन भी