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असम और पश्चिम बंगाल के चाय बागानों में नवंबर से लंबे समय तक सूखे का दौर रहने से प्रीमियम फर्स्ट फ्लश चाय के उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है.
असम और पश्चिम बंगाल के चाय बागानों में नवंबर से लंबे समय तक सूखे का दौर रहने से प्रीमियम फर्स्ट फ्लश चाय के उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है. प्रमुख चाय उत्पादकों ने कहा कि अगर अगले 10 दिनों के भीतर बारिश नहीं होती है, तो पहले फ्लश चाय का उत्पादन 25 फीसदी घट जाएगा और खुदरा उपभोक्ताओं के लिए कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है.
इस साल सूखे के कारण बगानों में पत्ते नहीं हैं. इस साल सर्दियों के अंत में बारिश नहीं हुई. तराई के कुछ इलाकों में बारिश हुई, लेकिन काफी कम मात्रा में, नतीजतन चाय की पत्तियां नहीं बढ़ सकीं. चाय संगठन बोर्ड से अनुरोध कर रहे हैं कि उन्हें सर्दियों के शुष्क मौसम के अंत से पहले चाय की पत्तियों को चुनने की अनुमति दी जाए. लेकिन इस साल तस्वीर बिल्कुल उलट है. चाय बोर्ड ने अनुमति दे दी है लेकिन चाय के पेड़ पर पत्ते नजर नहीं आ रहे,
पहले ही फ्लश की चाय आपदा की स्थिति में है. क्योंकि पिछले दो माह से बारिश नहीं हुई है. अभी दिन का तापमान 24 डिग्री से 26 डिग्री सेल्सियस है. रात में तापमान फिर से कम हो रहा है. लगभग 15 डिग्री सेल्सियस. इस भिन्नता के कारण चाय के पौधे पत्तियों का उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं.
चाय के पौधों की बढ़ोतरी जलवायु पर निर्भर है. चाय के जानकारों के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में मौसम में काफी बदलाव आया है. अब समय आ गया है कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए पारंपरिक चाय की खेती के तरीके को बदला जाए, नहीं तो चाय उद्योग को बचाना संभव नहीं है.
पिछले साल इस समय 1.2 मिमी बारिश हुई थी. नतीजा यह हुआ कि चाय के पौधों की जड़ें जलमग्न हो गईं और नए पत्ते निकल आए. इस साल बारिश 0.6 मिमी है. पानी पेड़ों की जड़ों पर जमा नहीं हुआ. पूरे चाय बागान में खुरदरापन देखा गया.