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अलवर जिले में टमाटर की खेती करने वाले किसान इन दिनों काफी परेशान नजर आ रहे हैं. वजह है कि इस बार जिले में टमाटर की बंपर पैदावार हो रही है.
अलवर जिले में टमाटर की खेती करने वाले किसान इन दिनों काफी परेशान नजर आ रहे हैं. वजह है कि इस बार जिले में टमाटर की बंपर पैदावार हो रही है. इससे किसानों को टमाटर के खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं. अलवर की मंडी में किसानों को टमाटर के भाव तीन से चार रुपए किलो ही मिल रहे हैं. ऐसे में गांवों से टमाटर लेकर आने वाले किेसानों का भाड़ा ही टमाटर बेचने से होने वाली आय से ज्यादा हो जाता है. अलवर की मंडी में अभी लोकल टमाटर आ रहे हैं, जो अलवर के उमरैण, अकबरपुर व आसपास के क्षेत्रों में होते हैं.
अलवर जिले के उमरैण क्षेत्र के किसान सुनील ने बताया कि वे 9 साल से टमाटर की खेती कर रहे हैं. अबकी बार उन्हें टमाटर का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा. सुनील ने बताया कि पिछले वर्ष आसानी से 10 से 15 किलो के भाव से टमाटर मंडी में बिक रहे थे. लेकिन इस बार 2 से 3 रुपए में भी व्यापारी टमाटर खरीदने में रुचि नहीं दिखा रहे. सुनील ने बताया किर जिले में टमाटर की काफी पैदावार होने से किसानों को सही दाम नहीं मिल पा ररहे. सुनील ने बताया कि उन्होंने एक बीघा में करीब 50 हजार की लागत से टमाटर की खेती की है.
मंडी में दुकान लगाने वाले सुसन ने बताया कि अभी टमाटर के दाम काफी कम हैं. मंडी में टमाटर 2 से 3 प्रति किलो कितना में आ रहा है और वे ग्राहकों को 10 रुपए किलो में टमाटर बेच रहे हैं. करीब 3 महीनों से अलवर लोकल के टमाटर मंडी में आ रहे हैं. टमाटर की दो किस्म होती है.
हाइब्रिड व देसी, जहां देसी टमाटर सब्जियों में काम आता है. वहीं हाइब्रिड टमाटर को ज्यादातर सलाद के रूप में काम में लिया जाता है. देसी टमाटर दिसंबर से लेकर फरवरी तक आते हैं और हाइब्रिड टमाटर मार्च में आना शुरू होते हैं. जिनकी कीमत देसी से महंगी होती है. अलवर में हाइब्रिड टमाटर हिमाचल प्रदेश व चौमू से आते हैं.