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दुनिया में कॉरपोरेट नौकरियों को बेहतर माना जाता है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो पढ़ाई लिखाई के बाद इंजीनियरिंग छोड़कर गांव लौटकर खेती कर रहे हैं. आइए जानते हैं एक ऐसे दंपति के बारे में जो हैदराबाद से वापस लौटकर न सिर्फ खेती कर रहे हैं बल्कि कई मजदूरों को रोजगार दे रहे हैं.
करीमनगर जिले के जंगपल्ली गांव के रहने वाले कर्रा श्रीकांत रेड्डी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उनकी पत्नी अनुषा रेड्डी ने एरोनॉटिकल इंजीनियर हैं. दोनों घर से दूर हैदराबाद में नौकरी कर रहे थे लेकिन कोरोना के उतार चढ़ाव वाले दौर में उन्होंने एक फैसला लिया.
ये फैसला था कि वो अपने गृहनगर लौटकर पुश्तैनी जमीन पर खेती करेंगे. बस श्रीकांत और उनकी पत्नी अनुषा ने पारंपरिक फसलों के अलावा, आधुनिक कृषि की शुरुआत की. उन्होंने एक एकड़ में गुलाब का बगीचा, एक एकड़ में कैमोमाइल का बगीचा, एक एकड़ में लिली का बगीचा, एक एकड़ में बॉल गार्डन और एक एकड़ में कुसुम की खेती की जाती थी.
अपनी नौकरी छोड़कर आज श्रीकांत और अनुषा इतने सफल हो चुके हैं. वे प्रतिदिन तीन हजार से पांच हजार रुपये की आय वाले कई मजदूरों को रोजगार दे रहे हैं. उन्हें पहले ही प्रयास में आदर्श किसान के रूप में पहचान भी मिली है.
उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि श्रीकांत और अनुषा को इस महीने की 17 तारीख को केंद्रीय मंत्री के हाथों सर्वश्रेष्ठ किसान युगल का पुरस्कार दिया जाएगा. दोनों नई मल्चिंग प्रणाली का इस्तेमाल कर गुलाब, कैमोमाइल और कपास की खेती में कर रहे हैं. श्रीकांत कृषि अधिकारियों के निर्देश का पालन कर मुनाफा कमा रहे हैं.
करीमनगर जिले में कृषि विभाग के तहत कर्रा श्रीकांत रेड्डी और अनुषा प्रयोग के तौर पर कुसुम की फसल की खेती की जा रही है. कुसुम की फसल से मुनाफा ज्यादा हो सकता है. इस फसल की खेती के लिए बहुत कम निवेश की आवश्यकता होती है. कीट और मवेशी जैसे सुअर और बंदर नहीं खाते हैं. कुसुम की उपज 10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है.