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ICICI बैंक की पूर्व CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर के गिरफ्तार होने के बाद बैंकिंग सेक्टर एक बार फिर शक के घेरे में आ गया है. क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी बैंकिंग संस्था का बड़ा अधिकारी किसी फ्रॉड केस में लिप्त पाया गया हो. इससे पहले भी बैंकिंग सेक्टर में दिग्गज माने जाने वाले अधिकारियों पर आरोप लगे हैं. जानिए ऐसे ही बड़े नामों के बारे में.
चंदा कोचर ने कई बाधाओं को तोड़ते हुए आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ और एमडी के रूप में कार्यभार संभाला था. वह देश ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल मीडिया के लिए भी कामयाब बैंकर थीं. चंदा कोचर की स्पीच के बिना कोई भी बैंकिंग सम्मेलन पूरा नहीं होता था और अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सेक्टर पर उनकी टिप्पणियों को बारीकी से देखा जाता था. लेकिन 23 दिसंबर 2022 को सीबीआई ने चंदा और उनके पति दीपक कोचर को 3250 करोड़ रुपये के वीडियोकॉन लोन घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है.
यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर लोन देने के लिए हमेशा तैयार रहते थे और इसके बदले में मोटी रकम लेते थे. लोन देने से पहले उन्होंने यह नहीं देखा कि लोन लेने वाले इंडस्ट्रियलिस्ट के हालात कैसे हैं. राणा 'प्ले बिग, अर्न बिग' यानि कि बड़ा खेलो और ज्यादा कमाओ में विश्वास रखते थे. इन्वेस्टिगेटर्स का कहना है कि राणा कपूर ने हर एक लोन को पास करने के लिए 10-15% एडवांस फीस लेने का नियम बना दिया था. हालांकि, इससे लोन की बुकिंग बढ़ाने में मदद मिली और शुल्क आय में वृद्धि हुई लेकिन इस दौरान जोखिम भी बढ़ा और जिसका नतीजा यह रहा कि यस बैंक को भारी नुकसान हुआ. राणा कपूर को ईडी ने इस साल की शुरुआत में ऐसे कई लोन डील्स के चलते गिरफ्तार किया था. कपूर को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत पकड़ा गया था.
कपिल वाधवा का नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) इंडस्ट्री और मॉर्टेगेज लेंडिंग सेगमेंट में काफी बड़ा नाम था. कपिल वाधवा के परिवार ने डीएचएफएल को खड़ा किया, जो देश की सबसे बड़ी मॉर्टेगेज लोन देने वाली कंपनियों में से एक थी. लेकिन जल्दी बड़ा बनने के चक्कर में कंपनी ने कुछ गैर-कानूनी रास्ते अपनाए, जिसमें अवैध लेन-देन शामिल है. मई 2020 में, कपिल वाधवा को ईडी ने यस बैंक मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था.
रवि पार्थसारथी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) IL&FS के अध्यक्ष थे. भारत की फाइनेंशियल मार्केट में कंपनी ने अच्छी शुरुआत की थी. लेकिन 2018 में कंपनी धराशायी हो गई. NBFC उन लोगों को लोन देने में विश्वास रखती है, जिनकी एप्लीकेशन बैंक ठुकरा देते हैं. रवि पार्थसारथी को उम्मीद थी कि भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी जारी रहेगी और IL&FS अपने ऑपरेशन्स जारी रखेगा. लेकिन 2013 में अर्थव्यवस्था को गिरावट का सामना करना पड़ा जिसके चलते बिगड़ती आर्थिक स्थिति, बिना जांचे परखे बड़ी राशि का लोन देना और लिक्विडिटी की कमी ने IL&FS को संकट में डाल दिया.