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Success story: किसान पिता ने कृषि लोन लेकर बेटे की पढ़ाई पूरी की. एक हजार बाधाओं को पार करने के बाद लड़के ने आज WBCS की परीक्षा पास कर ली.
केशव बचपन से ही प्रतिभावान था इसलिए परिवार में हजार बाधाओं के बावजूद बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आई. पैसों के अभाव में बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए मां को कान की बाली बेचनी पड़ी. किसान पिता ने कृषि लोन लेकर बेटे की पढ़ाई पूरी की. एक हजार बाधाओं को पार करने के बाद लड़के ने आज WBCS की परीक्षा पास कर ली.
मजदूर का बेटा केशव दास (28) पास होकर बीडीओ बनने वाला है. उसकी सफलता पर पूरे गांव को गर्व है. केशव दास मालदा के हरिश्चंद्रपुर-2 प्रखंड के दौलतपुर पंचायत के हरदामनगर गांव के रहने वाले हैं. पिता मजदूरी करते हैं. परिवार में दो बेटे और एक बेटी हैं, जिनमें केशव सबसे छोटा बेटा है.
केशव ने 2020 में WBCS की परीक्षा दी थी और अंतिम परिणाम दो फरवरी को घोषित हुआ. केशव को 'ए' श्रेणी में 27वां स्थान मिला है. उसने 2011 में माध्यमिक विद्यालय हरदामनगर हाई स्कूल से 57 फीसदी अंकों के साथ पास किया. 2013 में उसने दौलतपुर हाई स्कूल से 76 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण किया. 2016 में मालदा कॉलेज से संस्कृत में प्रथम श्रेणी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की.
केशव ने मालदा के छात्रावास से परीक्षा की तैयारी की. आर्थिक तंगी के कारण वे कोचिंग नहीं ले सकते थे. वह बचपन से ही शिक्षक बनना चाहता था और उसने WBCS परीक्षा पास करने के लिए कड़ी मेहनत की. केशव दास के पिता ज्ञानबन दास ने कहा ''केशव बचपन से ही मेहनती और प्रतिभावान है. उसे पढ़ाई के लिए कभी डांट नहीं पड़ी. हरिश्चंद्रपुर को आज केशव की सफलता पर गर्व है.''
पिता मजदूर हैं, कोरोना के बाद प्रवासी मजदूर बनकर काम करने गए थे. कभी वह दिहाड़ी मजदूरी करके और कभी किसी तरह जमीन पर काम करके अपने बेटे की पढ़ाई का खर्चा चलाते थे. बेटे की पढ़ाई के लिए उन्हें अपनी पत्नी के सोने के झुमके तक बेचने पड़े थे.
पिता अभी तक बैंक का कर्ज भी नहीं चुका पाए हैं. हालांकिआज बेटे ने बड़ी सफलता हासिक कर ली है. गांव के लड़के की इतनी कामयाबी देखकर पड़ोसी और रिश्तेदार सभी खुश हैं. इतना ही नहीं केशव गांव के छात्रों के लिए रोल मॉडल बन रहे हैं.