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Vedic Holi: हमने वैदिक होली के बारे में सुना तो है लेकिन कैसी होती है वैदिक होली? गुजरात के कई शहरो में इस बार आपको गोबर के स्टिक से होलिका दहन देखने को मिलेगा.
100% इको फ्रेंडली और प्रकृतिगत तत्वों से बनी वैदिक होली के बारे में अगर आप जानना चाहते है तो CNBC Awaaz के संवाददाता केतन जोशी की यह रिपोर्ट पढ़िए. गुजरात के एसजी हाइवे पर आये स्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठान यानि की SGVP के प्रांगण में गोबर की हजारो स्टिक बनाई गई है.
मशीन की मदद से बनी यह स्टिक हूबहू आपको लकड़ी ही लगेगी लेकिन वास्तव में यह स्टिक बानी होती है गाय के गोबर से. ऐसी कई सारी किट बनाकर अलग अलग सोसाइटी में भेजी जाएगी जहा इस किट से वैदिक होली का दहन होगा. SGVP के संस्कृत के प्राध्यापक डॉ सुभाष वसोया बताते है की "हमारे मार्गदर्शक और संस्थापक माधवप्रियदासजी का शुरू से प्रयास रहा है की गाय की रक्षा यानी प्रकृति की रक्षा.
हम विविध गौशाला के संपर्क में रहकर और हमारी खुद की गौशाला का गोबर इकठ्ठा कर के डेढ़ महीने पहले से ही गोबर की स्टिक मशीन के जरिये बना रहे है. एक वैदिक होली किट में 250 किलो गो काष्ठ, 7 प्रकार के अनाज, 200 ग्राम गे का घी, 150 ग्राम औषधीय द्रव्य, 100 ग्राम कपूर, मिटटी का घड़ा, श्रीफल देते है. गो काष्ठ से निर्मित वैदिक होली दो से ढाई घंटा दहन होती है.
इस प्रयास से हजारो वृक्ष कटने से बच जाते है. एक किट की कीमत 5500 रुपये रखी है, और अहमदाबाद में होली के दिन इस किट को हम फ्री डिलीवरी कर देते है. वैदिक होली के कई फायदे है. डॉ सुभाष वसोया कहते है की "एक तो हजारो वृक्ष कटने से बचेंगे. हर सोसाइटी होली दहन कार्यक्रम करती है.
अगर एक होली पर 50 किलो लकड़ी भी गिनो तो अहमदाबाद जैसे बड़े शहर से लेकर छोटे गांव तक कितने टन लकड़ी जलती है. अगर गोबर से बानी स्किट को हम होली दहन में इस्तेमाल करे तो इससे पर्यावरण संतुलन रहता है, इस सीज़न में आये कुछ बेक्टेरिया भी मर जाते है, और परोक्ष रूप से हमारे आरोग्य को भी थोड़ा फायदा पहुंचाता है.