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शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में तेल की कीमतों में गिरावट आई, लेकिन अमेरिका में मंदी की आशंकाओं और दुनिया के शीर्ष तेल इंपोर्टर चीन में तेल की डिमांड में सुधार की उम्मीद के बीच साप्ताहिक आधार पर तेल में तेजी थी.
शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में तेल की कीमतों में गिरावट आई, लेकिन अमेरिका में मंदी की आशंकाओं और दुनिया के शीर्ष तेल इंपोर्टर चीन में तेल की डिमांड में सुधार की उम्मीद के बीच साप्ताहिक आधार पर तेल में तेजी थी. आज ब्रेंट क्रूड हल्की गिरावट के साथ 84 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है जबकि WTI क्रूड 77.74 पर कारोबार कर रहा था.
गुरुवार को कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई क्योंकि तुर्किए और सीरिया के भूकंप से तबाह हुए तेल के बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान से बचा लिया गया. है. इस सप्ताह अब तक दोनों बेंचमार्क 5 फीसदी से अधिक बढ़ चुके हैं.
जबकि पश्चिमी प्रतिबंधों के के बाद रूस अपने प्रमुख कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण ऑयल रेवेन्यू के नुकसान को नियंत्रित करना चाहता है, तेल शिपिंग फर्म और एशियाई रिफाइनर रूसी कच्चे तेल के ट्रांसपोर्ट और रिफाइनिंग से अरबों अमेरिकी डॉलर कमा रहे हैं.
यूरोपीय संघ के प्रतिबंध और G7 मूल्य सीमा से पहले और बाद में चीन और भारत में ग्राहकों को आकर्षित करने के लि, रूसी निर्यातक $15-$20 प्रति बैरल छूट की पेशकश कर रहे हैं. वे शिपिंग कंपनियों को कच्चे तेल के ट्रांसपोर्ट के लिए $15-$20 प्रति बैरल का भुगतान भी कर रहे हैं.
माना जाता है कि चीन और भारत में रिफाइनर एशिया में रूसी व्यापार के बड़े लाभार्थी हैं क्योंकि उन्हें तेल में संसाधित करने के लिए सस्ता कच्चा तेल मिलता हैं. रूसी क्रूड का ट्रांसपोर्ट करने वाली अधिकांश शिपिंग कंपनियां यूएई, ग्रीस, भारत और चीन में स्थित हैं.