SUMMARY
दिवाली के मौके पर खासकर धनतेरस पर लोग सोना-चांदी खरीदते हैं. हालांकि अब कुछ लोग सोने और चांदी के फंड और ईटीएफ ETF(exchange-traded fund) में निवेश करने में भी रुचि दिखा रहे हैं. कुछ म्यूचुअल फंड हाउस दिवाली सीजन में नए सिल्वर और गोल्ड ईटीएफ लेकर आए हैं. इस समय बाजार में ऐसी दो योजनाएं उपलब्ध हैं.
हमारे देश में सोना और चांदी महज एक मेटल नहीं है, बल्कि त्योहारों का एक अहम हिस्सा माने जाते हैं. दिवाली के मौके पर खासकर धनतेरस पर लोग सोना-चांदी खरीदते हैं. हालांकि अब कुछ लोग सोने और चांदी के फंड और ईटीएफ ETF(exchange-traded fund) में निवेश करने में भी रुचि दिखा रहे हैं. कुछ म्यूचुअल फंड हाउस दिवाली सीजन में नए सिल्वर और गोल्ड ईटीएफ लेकर आए हैं. इस समय बाजार में ऐसी दो योजनाएं उपलब्ध हैं.
एडलवाइस गोल्ड एंड सिल्वर ETF भारत में इस तरह की पहली योजना थी, इसे अगस्त में लॉन्च किया गया था. मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड भी अब इसमें शामिल हो गया है. मोतीलाल ओसवाल गोल्ड एंड सिल्वर ईटीएफ Fund Of Funds (FOF) 19 अक्टूबर को सब्सक्रिप्शन के लिए खुल चुका हैं. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने गोल्ड एंड सिल्वर ईटीएफ और एफओएफ के लिए एक ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट भी दाखिल किया है.
विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक मंदी के दौरान सोना अच्छा प्रदर्शन करता है जबकि इन धातुओं की कीमतों में तेजी आने पर चांदी बेहतर प्रदर्शन करती है. दोनों लंबे समय में इंफ्लेशन के खिलाफ ढाल की तरह काम करते हैं. म्यूचुअल फंड, खासतौर पर एफओएफ, खुदरा निवेशकों के लिए भौतिक सोने और चांदी में निवेश करने की तुलना में अधिक सुविधाजनक हो सकता है. म्यूचुअल फंड हाउसों का मानना है कि एफओएफ फॉर्म में ये दोनों मेटल मिलकर मुश्किलों को कम कर सकती हैं और ऐसे में ये निवेशक के लिए ज्यादा लाभदायक हो सकता है.
सोने और चांदी में निवेश ने वैश्विक अनिश्चितता के समय में निवेशकों के पोर्टफोलियो को स्थिरता प्रदान की है. इन निवेशों को एक डाइवर्सिफिकेशन टूल के रूप में देखा जाना चाहिए. इसमें लंबी अवधि के लिए भी निवेश किया जा सकता है, खासकर दीपावली के दौरान जबकि सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है.हालांकि, म्यूचुअल फंड एडवाइजर चांदी को पोर्टफोलियो डायवर्सिफायर के रूप में इस्तेमाल करने के विचार से सहमत नहीं दिखते. ऐसा माना जाता है कि जहां सोना आपके पोर्टफोलियो में एक बड़ा सेवर है, वहीं चांदी खुदरा पोर्टफोलियो में जरूरी नहीं है.
इन दोनों ही को केवल लंबी अवधि के बचाव के रूप में देखा जाना चाहिए.भले ही सोने और चांदी की कीमतों में कोरिलेशन है, लेकिन वे अलग-अलग तरीकों से काम करते हैं. सोने की कीमतें मुख्य रूप से मांग-आपूर्ति (मुख्य रूप से गैर-औद्योगिक) और दुनिया भर की जियोपॉलिटिकल स्थितियों पर निर्भर करती हैं. दूसरी ओर, चांदी की कीमतें वैश्विक आर्थिक विकास पर निर्भर करती हैं. विश्व स्तर पर खनन किए गए चांदी का लगभग 50% इंडस्ट्रियल एप्लीकेशन्स और उत्पादों में उपयोग किया जाता है, इस प्रकार सोने के विपरीत, जो एक शुद्ध बचत उत्पाद हो सकता है, चांदी की कीमतें आर्थिक संकट, मंदी, बाजार में गिरावट के दौरान प्रभावित हो सकती हैं.
अगर आप दिवाली पर निवेश करने की सोच रहे हैं तो सोने और चांदी को मिलाकर एक कॉम्बो उत्पाद में निवेश करने के बजाय अलग-अलग निवेश करना बेहतर है.म्यूचुअल फंड एडवाइजरों का मानना है कि निवेश को एसेट एलोकेशन के नजरिए से देखने की भी जरूरत है. भले ही सोने में लंबे समय तक स्थिर रहने की प्रवृत्ति होती है, लेकिन सोने में निवेश यह सुनिश्चित करता है कि बुरे समय के दौरान पैसे का मूल्य बना रहे. सिल्वर फंड्स का भारत में अभी तक ऐसा ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है.
सोने और चांदी की कीमतें काफी समय से सुस्त बनी हुई हैं. ऐसे में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट पर दांव लगाया जा सकता है. निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि सोना किसी के मुख्य पोर्टफोलियो का हिस्सा हो सकता है लेकिन चांदी को केवल किसी के सेटेलाइट पोर्टफोलियो में ही लिया जा सकता है. चांदी, सोने की तुलना में ज्यादा अस्थिर हो सकती है. इसलिए, सोने और चांदी की अलग-अलग गतिशीलता को देखते हुए, उनमें कॉम्बो निवेश की बजाय अलग-अलग निवेश करना चाहिए.
अगर आप इस दिवाली निवेश करना चाहते हैं, तो मिश्रित उत्पाद के बजाय गोल्ड फंड से शुरुआत करें. आपको बता दें कि फिलहाल म्यूचुअल फंड बाजार में 22 गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड फंड उपलब्ध हैं. इनमें से 20 फंड और ईटीएफ लगभग 10 साल से अधिक समय से हैं.