SUMMARY
Mutual fund new rules-आम निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाने और उनकी रकम को सेफ करने के लिए SEBI ने बड़ा कदम उठाए है. आइए आपको बताते हैं.
शेयर बाजार रेग्युलेटर सेबी ने म्यूचुअल फंड यूनिट की खरीद- बिक्री को इनसाइडर ट्रेडिंग रेग्युलेशंस के दायरे में लाने के लिए नियमों में बदलाव किया है. अगर आसान शब्दों में कहें तो शेयर बाजार की तरह अब म्यूचुअल फंड यूनिट में ट्रेड इनसाइडर ट्रेडिंग के दायरे में आ गया है. अगर कोई इनसाइडर यानी अधिकारी या कोई कर्मचारी ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी.
(1) क्या होती है इनसाइडर ट्रेडिंग-जब कंपनी का कोई एग्जिक्यूटिव या उसके मैनेजमेंट से जुड़ा कोई आदमी उसकी (कंपनी की) अंदरूनी जानकारी होने के आधार पर शेयर खरीद या बेचकर गलत ढंग से मोटी कमाई करता है तो इसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है
(2) आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए 'ए' एक कंस्ट्रक्शन कंपनी है. सरकार से एक बहुत बड़े रोज प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए उसकी बातचीत सरकार से चल रही है. सरकार कंपनी को यह प्रोजेक्ट देने को तैयार हो जाती है. यह जानकारी कंपनी के बड़े अधिकारियों के पास है.उन्हें पता है कि इस खबर सावर्जनिक होते ही उनकी कंपनी के शेयर के भाव चढ़ जाएंगे.
(3) इसी का फायदा उठाकर टॉप अधिकारी कंपनी के शेयर सीधे या किसी दूसरे के अकाउंट में खरीद लेते हैं और खबर के आते ही कंपनी के शेयर चढ़ जाते हैं. फिर वे शेयरों को बेचकर मुनाफा कमा लेते हैं. इसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाएगा.
(4) अब क्या हुआ है? अभी तक ये नियम शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों पर लागू था. अब इसे म्युचूअल फंड की यूनिट्स पर लागू कर दिया गया है. सेबी ने गुरुवार को जारी एक अधिसूचना में कहा, 'कोई भी इनसाइडर किसी म्यूचुअल फंड की स्कीम की यूनिट्स में ट्रेड नहीं करेगा, अगर उसके पास प्राइस से संबंधित कोई सेंसिटिव जानकारी हो, जिसका किसी स्कीम की नेट एसेट ल्यू पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है.
(5) क्यों लाया गया है नया नियम- सेबी का ताजा फैसला सकते हैं. फ्रैंकलिन टेम्पलटन मामले के बाद आया है, जिसमें फंड हाउस के कुछ अधिकारियों पर यह आरोप है कि उन्होंने छह डेट स्कीम्स पर रोक लगाए जाने से पहले उन स्कीम्स में अपनी हिस्सेदारी को भुनाया था.