SUMMARY
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा साइबर क्रिमिनल के खिलाफ किया गया ऑपरेशन आम लोगों के लिए सतर्कता का संदेश है , क्योंकी कई ऐसे गैंग साइबर क्राइम को अंजाम देकर आपकी जिंदगी की गाढ़ी कमाई को लूट लेते हैं.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल अंतर्गत काम करने वाली IFS यूनिट (IFSO Unit of Special Cell) ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो भारत सरकार के "जीवन प्रमाण पत्र" ( Jeevan Praman is an initiative of Government of India) के नाम पर आपकी जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई को लूटने के लिए एक साजिश के तहत कुछ गैंग इस फर्जीवाड़े को अंजाम देता था.
इस गैंग के द्वारा अभी तक करीब 1800 से ज्यादा लोगों को चूना लगाया जा चुका है. इस गैंग के खिलाफ काम करते हुए डीसीपी प्रशांत गौतम (Prashant Gautam,IPS) की टीम ने एसीपी जय प्रकाश के नेतृत्व में इस मामले में तत्काल प्रभाव से एक टीम का गठन करके इस मामले की तफ्तीश की तब इस गैंग का कनेक्शन कई राज्यों से जुड़ता हुआ इनपुट्स सामने आया है. उसके बाद पुलिस की टीम ने उत्तरप्रदेश (Uttarpradesh), हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh) और तेलंगाना ( Telangana) में सर्च ऑपरेशन को अंजाम देते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है .
IFSO यूनिट द्वारा गिरफ्तार आरोपियों का नाम इस प्रकार से है .1.अमित खोसा - उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोएडा निवासी मुख्य आरोपी है , ये स्टॉक मार्केट एनालिसिस (worked in some Companies as Stock Market Analyst) से जुडे़ कंपनी के लिए काम कर चुका है .
2. कानव कपूर - ये वेबसाइट डेवलपर है (completed B.Tech. He is a dropout of BBA also) ,इसने ही कई वेबसाइट बनाकर फर्जीवाड़े को अंजाम देना शुरू किया (Web developer and started this scam) , ये आरोपी नोएडा का रहने वाला है . ये पहले भी एक ऐसे ही फर्जीवाड़ा मामले में गिरफ्तार हो चुका है .
3. बिनॉय सरकार ( Binoy Sarkar R/o Hyderabad, Telangana) - ये एक कंपनी में आरोपी HR विभाग यानी Human Resource Management से संबंधित काम करता है , यही वो आरोपी है जो लोगों का डेटा अमित खोसा को देता था.
4. Shankar Mondal R/o Hyderabad, Telangana - ये आरोपी बिनोय सरकार के अंतर्गत काम करता था, ये बैंकों से लोगों का डिटेल्स उसे देता था.
जीवन प्रमाण पत्र के क्या है मायने-केंद्र सरकार, राज्य सरकार से लेकर अर्ध सरकारी और निजी क्षेत्रों के करीब एक करोड़ लोगों को पेंशन अधिकृत सेवा (biometric enabled digital service for one Crore pensioners ) द्वारा प्रदान किया जाता है . दरअसल "जीवन प्रमाण " ये केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया हुआ सुविधा (Jeevan Praman is an initiative of Government of India launched) था, जो पूर्ण रूप से बायोमेट्रिक सिस्टम पर आधारित (Jeevan Pramaan is a biometric enabled digital service) सुविधा है .
जिसे साल 2014 में 10 नवंबर को शुरू किया था, इस जीवन प्रमाण सिस्टम का मतलब ये था की लाइफ सर्टिफिकेट यानी यानी जीवन प्रमाण पत्र पेंशनर यानी पेंशनभोगी के लिए जीवित होने का एक सबूत होता है, इसके जमा नहीं किए जाने पर पेंशन मिलना बंद हो जाता है.
पेंशन प्राप्त करते रहने के लिए पेंशनभोगी को हर साल उस वित्तीय संस्थान को जीवन प्रमाण पत्र जमा कराना होता है ,जो पेंशनर के खाते में पेंशन डालने के लिए अधिकृत होते हैं . जैसे बैंकिंग सेवा हो या डाकघर हो वहां पर पेंशनर को जाकर अपने जीवित होने का सबूत देना होता है .
केंद्र सरकार ने सेवा से सेवानिवृति के बाद पेंशन प्राप्त करने वाले के लिए एक प्रमुख आवश्यक बैंकों, डाकघरों इत्यादि जैसी अधिकृत (life certificate to the authorized pension disbursing agencies like Banks, Post Offices etc )पेंशन वितरण एजेंसियों को जीवन प्रदान करता है ,जिसके बाद उनकी पेंशन उनके खाते में जमा हो जाती है . इसी का फायदा उठाकर ये चारों आरोपियों का गैंग ने भारत सरकार के वेबसाइट से एकदम मिलता जुलता वेबसाइट बना डाला, जिसे देखकर एक नजर में कोई भी सरकारी अधिकारी भी उस फर्जी वेबसाइट की असलीयत को पहचान न सके. लेकिन इसी फर्जीवाड़ा के चक्कर में फंसकर हजारों लोगों को लाखों- करोड़ों रूपये इनलोगों ने चूना लगा दिया. जैसे --
भारत सरकार का सरकारी वेबसाइट है official portal https://jeevanpramaan.gov.in
लेकिन इसी वेबसाइट के स्थान पर आरोपियों ने उसी वेबसाइट के नाम से मिलता हुआ एक फर्जी वेबसाइट बना लिया (some fraudsters have made asimilar website) जो फर्जी वेबसाइट इस नाम का है - https://jeevanpraman.online/.
इस मामले में डीसीपी प्रशांत गौतम ने बताया की अभी तक की हमारी तफ्तीश में फिलहाल 1800 लोगों के साथ फर्जीवाड़ा की बात सामने आई है , लेकिन हमारी टीम विस्तार से तफ्तीश कर रही है और पूछताछ कर रही है .इस मामले में आगे की तफ्तीश जारी है.