SUMMARY
Adani Enterprises FPO : शेयर बाजार रेग्युलेटर सेबी के पास 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ- फोलो ऑन पब्लिक ऑफर के लिए रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (आरएचपी) दाखिल कर दिया है.
(1) FPO क्या होता है, इससे कंपनी और निवेशकों को कैसे फ़ायदा होता है? FPO यानी फॉलोऑन पब्लिक ऑफर कहते हैं. लिस्टेड कंपनी रकम जुटाने के लिए FPO के जरिये सैकेंडरी मार्केट में नए शेयर जारी करती है. अडानी ग्रुप भी अब एफपीओ के जरिए 20 हजार करोड़ रुपये जुटाने जा रही है.
(2) निवेशक IPO की तर्ज़ पर FPO के लिए भी अर्जी दे सकते हैं.कंपनी FPO का प्राइस बैंड तय करती है और जारी होने वाले शेयरों की संख्या भी बताती है.
(3) FPO एक निश्चित समयसीमा के लिए ही होता है. FPO के शेयर मिलने के बाद किसी तय तारीख से इन शेयरों की ख़रीद-फ़रोख्त शुरू होती है.
(4) FPO और ऑक्शन में क्या अंतर है, ऑक्शन के जरिये शेयर कैसे ख़रीदे जाते हैं? ऑक्शन-बोली लगाकर शेयरों की ख़रीद-फ़रोख्त को ऑक्शन कहा जाता है. इस प्रक्रिया के तहत शेयरों की बिक्री एक निश्चित समयसीमा में होती है.
(5) प्रमोटर्स BSE, NSE पर ऑक्शन के जरिये हिस्सा बेच सकते हैं. मार्केट कैप के लिहाज से शीर्ष 100 कंपनियां ऑक्शन के जरिये हिस्सा बेच सकती हैं. जिन कंपनियों में प्रमोटर्स हिस्सा 75% से अधिक है, वे ऑक्शन के जरिये हिस्सा बेच सकती हैं .कम से कम `25 करोड़ या पेड-अप कैपिटल का 1% हिस्सा ऑक्शन के जरिये बेचने की शर्त है.
(6) ऑक्शन के लिए कंपनी फ्लोर प्राइस यानी कम से कम बोली तय करती है. फ्लोर प्राइस से कम की बोली मान्य नहीं होती है. ऑक्शन एलॉटमेंट क्लीयरिंग प्राइस या प्रायरिटी के आधार पर होगी.ऑक्शन का फ़ायदा-ऑक्शन से कंपनी जल्द रकम जुटा सकती है. FPO के मुकाबले ऑक्शन में कंपनी को ज़्यादा खर्च नहीं करना पड़ता है.