गौतम अदानी की स्वामित्व वाली अदानी ग्रुप ने रविवार (29 जनवरी) देर शाम को शॉर्ट सेलर हिंडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का जवाब देते हुए कहा है कि ये भारत, भारतीय संस्थानों और भारत की ग्रोथ स्टोरी पर एक 'सुनियोजित हमला' है. अदानी ग्रुप ने कहा कि ये रिपोर्ट 'और कुछ नहीं बल्कि एक झूठ' है. ये गलत आधार पर बाजार को प्रभावित करने के लिए किसी 'परोक्ष मकसद' से तैयार किया गया है, ताकि इस अमेरिकी फर्म को वित्तीय लाभ मिल सके. अदानी ग्रुप ने अपने जवाब में लिखा, 'ये केवल एक खास कंपनी पर नहीं बल्कि भारत, स्वतंत्रता, साख, गुणवत्ता वाले भारतीय संस्थानों और भारत की ग्रोथ स्टोरी और भारत की महत्वकांक्षा पर सुनियोजित हमला है.
24 जनवरी को जारी हिंडेनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट के जवाब में अदानी ग्रुप ने कहा कि ये और कुछ नहीं बल्कि झूठ के आधार पर तैयार किया गया है. इस डॉक्युमेंट में किसी अनजाने मकसद को पूरा करने के लिए चुनिंदा गलत जानकारियों और निराधार फैक्ट्स को आधार बनाया गया है. अदानी ग्रुप ने हिंडेनबर्ग की इस रिपोर्ट को 'मैनहटन के मैडऑफ' से तुलना करते हुए कहा है कि हिंडेनबर्ग रिसर्च की ये रिपोर्ट अचंभित और काफी परेशान करने वाली है. बताते चलें कि बर्नी मैडऑफ को अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़े वित्तीय फ्रॉड के तौर पर जाना जाता है.
FPO के दौरान रिपोर्ट जारी करना सोची-समझी चाल?
अदानी ग्रुप ने कहा कि सिक्योरिटी बाजार में अपने हितों को साधने और बाजार को प्रभावित करने के लिए ये रिपोर्ट जारी की गई है. हिंडेनबर्ग ने इस रिपोर्ट के जरिए असंख्य निवेशकों की निवेश की कीमत पर खुद वित्तीय लाभ उठाने की चेष्टा से ये रिपोर्ट जारी की है. ग्रुप ने यह भी कहा कि ये चिंता की बात है कि हजारों मील दूर किसी ईकाई ने (जिसकी कोई साख या नीति नहीं है) गंभीर और अभूतपूर्व रूप से हमारे निवेशकों को प्रभावित किया है. अदानी ग्रुप ने कहा, "दुर्भावनापूर्ण इरादे रखने वाला ये रिपोर्ट एक ऐसे समय पर जारी किया गया है, जब अदानी ग्रुप भारत में प्राइवेट सेक्टर का सबसे बड़ा FPO ला रही है. यह केवल एक कंपनी पर अनुचित हमला नहीं बल्कि भारत पर सुनियोजित हमला है. ये भारत की स्वतंत्रता, साख, यहां के गुणवत्ता वाले वित्तीय संस्थानों और भारत की ग्रोथ स्टोरी और महत्वकांक्षा पर हमला है."
अदानी ग्रुप ने कहा कि इस रिपोर्ट से मुख्य तौर पर तीन बातें निकलकर आती हैं -
1. झूठा नैरेटिव तय करने कि लिए उन चुनिंदा जानकारियों को चालाकी से पेश किया गया है, जो पहले से ही सभी के सामने हैं.
2. इंडस्ट्री में पालन के लिए लागू कानून और अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स को पूरी तरह से दरकिनार किया गया है या इसकी अवहेलना की गई है.
3. ये भारतीय नियामकों और न्यायपालिका समेत भारतीय संस्थानों की अवमानना है.
हिंडेनबर्ग ने अपने लाभ के लिए जारी किया ये रिपोर्ट
अदानी ग्रुप ने कहा कि ये रिपोर्ट हमारे शेयरहोल्डर्स और पब्लिक निवेशकों की कीमत पर हिंडेनबर्ग को लाभ पहुंचाने के इरादे से जारी किया गया है. बताते चलें कि हिंडेनबर्ग का अदानी पोर्टफोलियो की कंपनियों में अमेरिकी बॉन्ड्स और नॉन-इंडियन-ट्रेडेड डेरिवेटिव्स में शॉर्ट पोजिशन है. अदानी ग्रुप ने कहा कि हिंडेनबर्ग ने ये रिपोर्ट किसी परोपकार या भलाई के इरादे से नहीं बल्कि ये पूरी तरह से खुद के लाभ को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है, जोकि मौजूदा सिक्योरिटीज और फॉरेन एक्सचेंज कानून के खिलाफ है.
अपने फायदे के लिए चुनिंदा जानकारियों को गलत तरीक से पेश किया गया
अदानी ग्रुप ने अपने जवाब में कहा कि सच तो ये है कि हिंडेनबर्ग एक अनैतिक शॉर्ट सेलर है. सिक्योरिटी बाजार में शॉर्ट शेयरों के भाव में गिरावट का अनुमान लगाकर कमाई करने वाले को शॉर्ट सेलर कहते हैं. ग्रुप ने कहा कि हिंडनबर्ग 'शॉर्ट पोजिशन' लेने के बाद गलत तरीके से शेयर के भाव को नीचे गिराने की कोशिश कर रहा है. हिंडेनबर्ग ने ये डॉक्युमेंट हमारे शेयर भाव को गिराकर हेरफेर के जरिए कमाई करने के इरादे से जारी किया है. इस डॉक्युमेंट के जरिए फैक्ट्स को गलत तरीके से पेश कर हमपर गलत अरोप और आक्षेप लगाने की कोशिश की गई है, जिसने आग की तरह फैलकर निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचाया है और इससे हिंडनबर्ग को मुनाफा हुआ है.
कुल मिलाकर इससे आम निवेशकों को घाटा हुआ है और हिंडेनबर्ग को इस गिरावट से मुनाफा कमाने का मौका मिला है. इस प्रकार ये रिपोर्ट ने तो 'स्वतंत्र', न 'वस्तुनिष्ठ' और न ही 'बेहतर रिसर्च' के आधार पर तैयार किया गया है. अदानी ग्रुप ने कहा कि इस रिपोर्ट को लेकर दावा किया गया है कि इसे तैयार करने और सबूत जुटाने में 2 साल लगे हैं, लेकिन इसमें केवल उन्हीं चुनिंदा जानकारियों को चालाकी से पेश किया गया है, जो कई साल से पब्लिक डोमेन में है. इसमें उन आरोपों को दोहराने की कोशिश की गई है, जिसे पहले ही गलत करार दिया जा चुका है.
खुद हिंडेनबर्ग ने अपने छिपाई अहम जानकारी
अदानी ग्रुप ने इस जवाब में यह भी कहा, "हिंडेनबर्ग की ये रिपोर्ट सिक्योरिटी कानून के तहत सुनियोजिन फ्रॉड के अलावा और कुछ भी नहीं है. विंडबना तो ये है कि अदानी ग्रुप तो पारदर्शिता और स्पष्टता के लिए जानी जाती है लेकिन हिंडेनबर्ग या उसके कर्मचारी या निवेशकों के बारे कोई भी जानकारी नहीं है. हिंडेनबर्ग की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि उनके पास 'दशकों का अनुभव' है लेकिन इसकी स्थापना केवल 2017 में हुई है". 'पारदर्शिता' का दावा करने वाली हिंडनबर्ग ने लगातार अपने शॉर्ट पोजिशन, इसकी फंडिंग, इसके पीछे कौन है, इन सभी बातों को छिपाया है.
पूछे गे 88 सवालों पर अदानी ग्रुप ने क्या कहा?
अदानी ग्रुप ने कहा कि हिंडेनबर्ग की ओर से पूछे गए 88 सवालों में से एक भी स्वतंत्र या पत्रकारिता में तथ्यों की जांच पर आधारित नहीं है. इस रिपोर्ट में 88 सवाल पूछे गए हैं - जिसमें से 65 सवाल ऐसे हैं, जिनकी जानकारी अदानी पोर्टफोलियो की कंपनियों ने अपनी वेबसाइट, ऑफरिंग मेमोरेंडम, फाइनेंशियल स्टेटमेंट और एक्सचेंज फाइलिंग में दी है. बाकी बचे 23 सवालों में से 19 पब्लिक शेयरहोल्डर्स और थर्ड पार्टी से जुड़ी हैं. जबकि बाकी बचे अन्य 5 सवाल काल्पनिक तथ्यों से प्रेरित निराधार हैं.
डिस्क्लेमर: CNBC TV18 हिंदी पर दी गई सलाह या विचार एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार हैं. वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदायी नहीं है. निवेश से पहले आप अपने वित्तीय सलाहकार यानी सर्टिफाइड एक्सपर्ट की राय जरूर लें.