क्रेडिट सुइस संकट के सामने आने के साथ ही दुनिया भर के शेयर बाजारों में इसका असर देखने को मिला है. हाल ही में अमेरिका के एसवीबी पर ताला लगा है. उसके बाद क्रेडिट सुइस को लेकर आई एक खबर ने निवेशकों की टेंशन बढ़ा दी है और वो इसकी तुलना 2008 की मंदी से करने लगे हैं. जानिए क्या है क्रेडिट सुइस का संकट और क्यों निवेशक इसको लेकर इतना घबराए हुए हैं.
क्या है क्रेडिट सुइस का संकट-
क्रेडिट सुइस का संकट लिक्विडिटी का संकट है. बैंक से डिपॉजिट लगातार बाहर निकल रहा है और निवेशकों के भरोसे के टूटने के साथ नकदी संकट भी लगातार बढ़ रहा है. इसके अलावा कई अन्य फैक्टर भी बैंक पर दबाव बढ़ा रहे हैं.
निवेशक अपने डिपॉजिट लगातार निकाल रहे हैं और ये निकासी 100 अरब डॉलर के स्तर के पार पहुंच चुकी है. इसके साथ ही बॉन्ड में भी बैंक को तगड़ा नुकसान हो रहा है. वहीं बड़े निवेशकों ने भी बैंक से दूरी बना ली है. इससे अन्य निवेशकों का भी भरोसा गड़बड़ाया है.
कंप्लीट सर्किल के सीआईओ गुरमीत चड्ढ़ा के मुताबिक क्रेडिट सुइस के लिए संकट हाल में ही शुरु नहीं हुई है. पिछले काफी समय से बैंक की सेहत कमजोर हो रही थी.
बैंक पिछले कुछ समय में कई डील में पैसा गंवा चुका है. पिछले साल बड़े पैमाने पर नकदी निकलने से लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो में तेज गिरावट देखने को मिली है. इसके साथ ही बैंक पर नियम तोड़ने और मनी लॉन्ड्रिग के भी मामले लगे हैं. इन झटकों के साथ बड़े निवेशकों के द्वारा और निवेश न करने के ऐलान से स्थिति बिगड़ गई है.
क्या है सबसे बड़ी चुनौती-क्रेडिट सुइस की समस्या के साथ एक नई चुनौती सामने खड़ी हो गई है. संकट के साथ निवेशकों का भरोसा छोटे बैंकों से कम हुआ है और वो बड़े बैंकों में तेजी के साथ पैसा जमा कर रहे हैं.
इससे छोटे बैंकों में डिपॉजिट घट रहा है और दूसरी तरफ बड़े बैंकों में डिपॉजिट बढ़ रहे हैं. मंदी की आशंका के बीच बड़े बैंकों को इस अतिरिक्त जमा को आगे निवेश करने या कर्ज रूप में बांटने में मुश्किलें आ सकती है.
वहीं दूसरी तरफ डिपॉजिट घटने से छोटे बैंक की नकदी की समस्या बढ़ सकती है. और उनके अस्तित्व पर संकट बढ़ सकता है. यानि क्रेडिट सुइस संकट ने बैंकिंग सिस्टम में एक नई समस्या खड़ी कर दी है.
क्या आ सकता है 2008 जैसा आर्थिक संकट-गुरमीत के मुताबिक फिलहाल क्रेडिट सुइस की स्थिति ऐसी नहीं है कि उसमें लेहमन ब्रदर्स की तरह माना जा सके, जिसने 2008 का संकट खड़ा कर दिया था.
उनके मुताबिक फिलहाल बैंकिंग नियम सख्त हैं और क्रेडिट सुइस को आर्थिक मदद भी मिल सकती है. लेकिन ये साफ है कि अगर इसके असर को नियंत्रित नहीं किया गया तो ये बड़ा संकट बन सकता है.