कई न्यू एज टेक कंपनियों की लिस्टिंग से निवेशकों को होने वाले भारी नुकसान को देखते हुए सेबी अब मंजूरी देने में सख्ती बरत रहा है. जनवरी से मार्च के बीच सेबी ने आधे दर्जन कंपनियों की IPO के लिए अर्जी खारिज कर दी है.
पेटीएम के आईपीओ आने और फिर बाद शेयर प्रदर्शन को देखते हुए अब सेबी कंपनियों को IPO मंजूरी को लेकर सख्त रवैया अपना रहा है. मार्केट रेगुलेटर OYO और Oravel Stays समेत करीब आधे दर्जन कंपनियों के आवेदन को खारिज कर दिया है. इन कंपनियों को कई जरूरी अपडेट्स के बाद दोबारा DRHP फाइल करने को कहा गया है. OYO के अलावा, Go Digit General Insurance, Lava International, Paymate India, Finacare Small Finance Bank और BVG India के आवदेन को भी सेबी ने खारिज कर दिया है.
इन सभी 6 कंपनियों ने सितंबर 2021 से लेकर मई 2022 के बीच में सेबी के पास IPO के लिए आवेदन किया था. इन कंपनियों के आवेदन पेपर को इस साल जनवरी से लेकर 10 मार्च के बीच में लौटा दिया गया है. ये सभी कंपनियों IPO के जरिए प्राइमरी मार्केट से कुल 12,500 करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी में थीं.
निवेशकों को नुकसान से बचाने के लिए सेबी का कदम
दरअसल, 2021 में कई कुछ हाई-प्रोफाइल कंपनियों के IPO से निवेशकों को भारी नुकसान होने के बाद सेबी अब IPO की मंजूरी देने की प्रक्रिया में सख्ती बरतने पर जोर दे रहा है. 2022 में सेबी ने किसी भी कंपनी को IPO की मंजूरी देने के लिए औसतन 115 दिन लगाया है. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा, "Paytm, Zomato और Nykaa जैसी नई दौर की कंपनियों के IPO से निराशा हाथ लगने के बाद सेबी ने मंजूरी प्रक्रिया को सख्त कर दिया है. निवेशकों के हित के लिहाज से ये स्वागत योग्य कदम है.'
इस साल कितनी कंपनियों ने आईपीओ के लिए आवेदन किया
बताते चलें कि पेटीएम की पेरेंट कंपनी One97 Communication का नवंबर 2021 में आईपीओ आया था. कंपनी ने इस आईपीओ के जरिये 18,300 करोड़ रुपए जुटाया है. इस साल अभी तक केवल 9 कंपनियों ने ही IPO के लिए सेबी के पास आवदेन किया है. बाजार में फिलहाल तेज उतार-चढ़ाव की वजह से कंपनियां आईपीओ के लिए आवेदन करने से बच रही हैं.
पिछले साल यानी 2022 में 38 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 59,000 करोड़ रुपए जुटाए है. इसके पहले 2021 में कुल 63 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 1.2 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे. 2022 में LIC के 20,557 करोड़ रुपए के आईपीओ के वजह से ये आंकड़ा इतना ज्यादा था.
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