अमेरिकी में कितनी ब्याज दरें बढ़ेंगी? कब बढ़ेंगी? रोजना अमेरिका से आने वाली कॉमन्ट्री निवेशकों की धड़कने बढ़ाती है. इस पूरे मामले पर Piper Serica के फाउंडर अभय अग्रवाल का कहना है कि ये बहुत मुश्किल सवाल है. क्योंकि कहीं का भी कोई भी सेंट्रल बैंक कभी ये नहीं बताएगा कब और कितनी ब्याज दरें बढ़ाएगा. हालांकि, मौजूदा समय में फेडरल रिजर्व के लिए ये कहना बहुत ही मुश्किल है कि महंगाई की जंग हमने जीत ली है.
महंगाई कब थमेगी? ब्याज दरें कितनी बढ़ेंगी-
अभय अग्रवाल का कहना है कि मौजूदा समय में डिमांड अमेरिका और एशियाई बाजारों में जारी है. ऐसे में जितने भी सेंट्रल बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. उनका असर इस पर शायदा ही पड़ रहा है. कुछ दिनों के बाद निवेशक और आम आदमी ब्याज दरों के सवाल को सुनना ही बंद कर देंगे क्योंकि एक्सपर्ट्स और निवेशक इन सब चीजों से बोर हो जाएंगे. एनालिसिस करना मुश्किल हो रहा है.
अमेरिका में भी चुनाव होने वाले है? अभय अग्रवाल बताते हैं कि भारत में नहीं बल्कि अमेरिका में भी चुनाव होने वाले है. ऐसे में फेडरल रिजर्व का हर कदम राजनीति से प्रेरित होगा क्योंकि मौजूदा समय में काफी टफ सिचुएशन है.
सुदीप बंदोपाध्याय का कहना है कि मौजूदा समय में फेडरल रिजर्व भी डेटा पर डिपेंट है. ऐसे में किसी भी फैसले पर पहुंचपना बेहद मुश्किल है. हमारा अनुमान है कि मार्च और जुलाई पॉलिसी समीक्षा में फेडरल रिजर्व 0.50 फीसदी से 0.75 फीसदी तक ब्याज दरें बढ़ा सकता है. इसके बाद महंगाई में तेजी से कमी आ सकती है.