आइडिया वोडाफोन की मुश्किलें दूर होने का नाम नहीं ले रही है. शेयर एक महीने में 12 फीसदी, तीन महीने में 15 फीसदी, एक साल में 40 फीसदी टूटा है. हालांकि, अब कंपनी पर बड़ी खबर आई है. टेलीकॉम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने वोडाफोन आइडिया मामले पर सीएनबीसी टीवी-18 की मैनेजिंग एडिटर शीरीन भान को साथ खास बातचीत की है. अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पहले कंपनी को कैपिटल चाहिए. ये चाहे जैसे भी आए यानी कर्ज के तौर पर हो या फिर हिस्सेदारी बेचकर आए.(आम आदमी से जुड़ी बजट की हर खबर सबसे पहले आपको यहां मिलेगी-https://hindi.cnbctv18.com/budget/)
उन्होंने कहा- देनदारी को इक्विटी में बदलने से कंपनी पर दबाव कम नहीं होगा. क्योंकि कंपनी को पैसों की जरुरत है. इस मामले पर इससे ज्यादा कुछ भी कह पाना मेरे लिए मुश्किल है. अश्विनी वैष्णव ने बताया कि हम तेजी से कंपनी के प्रमोटर्स के साथ मिलकर वोडाफोन-आइडिया के सर्वाइवल पर काम कर रहे है.
वोडाफोन के सामने अब सबसे बड़ी मुश्किल- कंपनी ने बैंकों से कम से कम 7,000 करोड़ रुपये का इमरजेंसी फंड मांगा था. लेकिन बैंकों ने इस पर कहा था कि सरकार इसकी हिस्सेदारी खरीदारी या नहीं और इस टेलीकॉम कंपनी का बिजनेस बढ़ाने का क्या प्लान है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वोडाफोन आइडिया, आदित्य बिरला ग्रुप, वोडाफोन, इंडस, एसबीआई, पीएनबी, एचडीएफसी बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट की तरफ से इस पर प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त हुई है.
वोडाफोन आइडिया बैंकों के पास कर्ज मांगने पहुंची है. एक बैंक के अधिकारी ने जानकारी दी कि टेलीकॉम कंपनी ने 15 हजार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी मांगी है.
इसके अलावा नए कर्ज के लिए भी अनुरोध किया है. सितंबर 2022 तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक वोडाफोन आइडिया की नेटर्थ निगेटिव 75,830.8 करोड़ रुपये थी और एक बैंक के अधिकारी के मुताबिक बैंक निगेटिव नेटवर्थ वाली कंपनियों को कर्ज नहीं दे सकते हैं क्योंकि इसके वापसी की कोई गारंटी नहीं रहती है.
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