एफआईआई की ओर से जारी बिकवाली थमने का नाम नहीं ले रही है. पहले दिसंबर में -14,231.09 करोड़ रुपये की बिकवाली की. वहीं, अब नए साल के पहले महीने जनवरी में कुल 8000 करोड़ रुपये शेयर बाजार से निकाल लिए है. हालांकि, एक्सपर्ट्स अब उम्मीद जता रहे हैं कि जनवरी के बाद एफआईआई भारतीय बाजारों की ओर लौट सकते हैं.
एफआईआई और डीआईआई कौन होते है? इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.-
शेयर बाजार की जब भी बात होती है तो दो नाम अक्सर सुनाई देते है. एक हैं एफआईआई दूसरा होता है डीआईआई.
एफआईआई क्या है? एफआईआई यानी विदेशी संस्थागत निवेशक वो निवेशक होते हैं जो भारत में निवेश कर रहे हैं लेकिन भारत का हिस्सा नहीं हैं. इन निवेशकों को एफआईआई कहा जाता है. वे किसी भी देश से हो सकते हैं. म्यूचुअल फंड या इंश्योरेंस बिज़नेस से जुड़े हो सकते हैं. अगर आसान शब्दों में कहें तो वो नागरिक जो भारत का नहीं है और यहां पैसा लगा रहा है. हालांकि, इसके लिए कई नियम है. उसी हिसाब से उनकी परिभाषा तय की जाती है.
विदेशी संस्थागत निवेशकों को शेयर बाजार रेग्युलेटर SEBI के पास रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होता है. एफआईआई को कभी-कभी एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) कहा जाता है. ये लोग कभी भी अपनी पैसा निकाल सकते है. उदाहरण के तौर पर बोले तो जे.पी. मोर्गन, यूरो पैसिफिक ग्रोथ फंड, मोर्गन स्टैनली.
FII अपनी कुल पूंजी में से 10 प्रतिशत तक एक कंपनी की इक्विटी में इन्वेस्ट कर सकते हैं. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में निवेश करने की अधिकतम राशि बैंक की भुगतान पूंजी का 20 फीसदी है.
घरेलू संस्थागत निवेशक भारतीय निवेशक हैं जो भारतीय स्टॉक मार्केट में अपना पैसा डालकर लाभ प्राप्त करना चाहते हैं. डीआईआई इंश्योरेंस कंपनियों, म्यूचुअल फंड, लिक्विड फंड, और अन्य इन्वेस्टमेंट में पूंजी लगा सकते हैं.
भारत में, घरेलू संस्थागत निवेशक स्टॉक मार्केट कैसे प्रदर्शन करते हैं, विशेष रूप से जब विदेशी संस्थागत निवेशक देश के निवल विक्रेता होते हैं. घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) द्वारा भारतीय स्टॉक मार्केट में निवेश की गई राशि 2022 में अब तक रु. 2 ट्रिलियन के बेंचमार्क से अधिक है.भारत में, लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन सबसे प्रमुख घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) है.
भारत में डीआईआई की कुछ और सूची -1. ICICI प्रूडेंशियल, 2. निप्पॉन एएमसी,3. HDFC लाइफ