गौतम अडानी ने कहा कि इस साल के वर्ल्ड इकनोमिक फोरम में ChatGPT ने लोगों का अपनी तरफ काफी ध्यान आकर्षित किया है. इस बीच इसके प्रभावशाली फीचर्स के चलते कंपनियां और जिज्ञासु यूजर्स इसकी तरफ आकर्षित हुए. वहीं वास्तविक दुनिया में इसके नैतिक अनुप्रयोगों पर डिबेट हुई.
दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति और अडानी ग्रुप के चेयरपर्सन गौतम अडानी ने कहा है कि वह OpenAI के ChatGPT को आजमा रहे हैं. उन्होंने इस दौरान स्वीकार भी किया है कि वह इसका कुछ ज्यादा ही इस्तेमाल कर रहे हैं. अडानी ने 2023 वर्ल्ड इकनोमिक फोरम (WEF) में भाग लेने के बाद एक LinkedIn पोस्ट में लिखा कि ChatGPT अपने शानदार फीचर्स और कॉमिकल फेलियर्स के बीच AI के लोकतंत्रीकरण (Democratization) में एक ट्रांसफॉर्मेशनल पल है. इसमें कोई शक नहीं है कि Generative AI के बड़े पैमाने पर प्रभाव होंगे.
उन्होंने बताया कि इस साल के वर्ल्ड इकनोमिक फोरम में ChatGPT ने लोगों का अपनी तरफ काफी ध्यान आकर्षित किया है. इस बीच इसके प्रभावशाली फीचर्स के चलते कंपनियां और जिज्ञासु यूजर्स इसकी तरफ आकर्षित हुए. वहीं वास्तविक दुनिया में इसके नैतिक अनुप्रयोगों पर डिबेट हुई.
अच्छे के साथ खतरनाक भी है Generative AI के परिणाम
अडानी ने ChatGPT के ट्रांस्फॉरमेटिव नेचर की तुलना वैश्विक चिप इंडस्ट्री से की और बताया कि कैसे सेमीकंडक्टर्स के उदय ने Intel, Qualcomm और TSMC जैसे प्रभावशाली टेक जायंट्स को बढ़ने में मदद की. इन कंपनियों द्वारा बनाए गए चिप्स स्मार्ट फोन, लैपटॉप, रसोई के उपकरण और अन्य उपभोक्ता उपकरणों को चलाने में मदद करते हैं.
इस दौरान अडानी ने इसके खतरनाक पहलुओं पर भी बात की. उन्होंने कहा कि Generative AI ने आधुनिक युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले सटीक और निर्देशित हथियारों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है.
अडानी ने आगे कहा कि इस फील्ड में दौड़ पहले से ही जारी है, चीन ने AI पर सबसे ज्यादा साइंटिफिक रिसर्च पेपर्स की संख्या में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है. 2021 में चीनी शोधकर्ताओं ने अपने अमेरिकी समकक्षों की तुलना में AI पर कई अकादमिक पेपर प्रकाशित किए. ये आने वाले समय में सिलिकॉन चिप्स की मारामारी के बीच युद्ध का संकेत भी हो सकता है.
लीडरशिप इवेंट के सामने बड़ी चुनौतियां
वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है. दुनिया के इस महत्वपूर्ण विचार शेयर करने वाले लीडरशिप इवेंट की गति को कुछ फैक्टर्स प्रभावित कर रहे हैं, जिसमें जानकारी की उपलब्धता में आसानी होना, लाइव स्ट्रीमिंग देखने और मल्टीटास्क को और अधिक आरामदायक बनाना, जलवायु परिवर्तन के कारण ढलानों बर्फ पिघलना, कोविड के बाद टूरिज्म सेक्टर को झटका और रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध, जिसका अभी तक कोई अंत नहीं दिखाई दे रहा है - ये सब शामिल हैं. शायद इवेंट में पहली बार पहली बार एकमात्र G7 नेता की उपस्थिति इस तरफ इशारा भी कर रही है. G7 नेताओं में सिर्फ इस बार जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने शिरकत की थी.
भारत के पास आगे बढ़ने की अच्छी संभावनाएं
इस बीच अडानी ने दुनिया में लगाई जा रही आर्थिक मंदी की अटकलों पर भी अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में टेक दिग्गज बड़े स्तर पर छंटनी कर रही हैं और उधर लगभग सभी बड़े इकोनॉमिस्ट 2023 के तीसरे क्वार्टर तक वैश्विक मंदी आने की संभावनाएं जता चुके है. अडानी ने कहा कि चीन और अमेरिका में आर्थिक स्थिति खराब होना निश्चित तौर पर वैश्वीकरण को प्रभावित करेंगी. इसका मतलब यह है कि पारंपरिक व्यापार पैटर्न बदल जाएगा क्योंकि पश्चिमी दुनिया (Western Countries) रूस और चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहे हैं. यह भारत और अन्य आसियान (ASEAN) देशों के लिए सप्लाई चेन जोखिमों के विविधीकरण से लाभ प्राप्त करने का एक अवसर बन जाता है.