इंसान ही उसे अच्छे और बुरे डिसिजन का भेद समझा रहा है. जबकि कुछ AI सिस्टम इस तरह विकसित किए जा रहे हैं कि उन्हें इंसानी सुपरविजन की जरूरत ही नहीं है. जैसे उन्हें बार बार एक ही वीडियो गेम खेलने के लिए दिया जाता है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंट सिस्टम अब ऐसे काम करने में भी सक्षम है जो अब तक ह्यूमन ब्रेन के जरिए ही संचालित हो रहे थे. मसलन भाषा को समझना, गेम खेलना और पैटर्न्स को पहचानना. अपने अंदर मौजूद ढेर सारे डाटा को प्रोसेस कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंट सिस्टम ये करने में सक्षम हो रहा है. बहुत सारे केसेस में जीते जागते इंसानों के सुपरविजन में ही AI की सीखने समझने की प्रक्रिया जारी है.
इंसान ही उसे अच्छे और बुरे डिसिजन का भेद समझा रहा है. जबकि कुछ AI सिस्टम इस तरह विकसित किए जा रहे हैं कि उन्हें इंसानी सुपरविजन की जरूरत ही नहीं है. जैसे उन्हें बार बार एक ही वीडियो गेम खेलने के लिए दिया जाता है. जिसके बाद वो रूल समझने और जीतने में कामयाब हो रहे हैं.
पावरफुर AI
जो AI दूसरों की तुलना में ज्यादा स्ट्रांग होते हैं उन्हें artificial general intelligence भी कहा जाता है. जो ऐसी परेशानियों का हल भी ढूंढ निकालती हैं जिसके लिए उन्हें प्रशिक्षित नहीं किया गया है. इस तरह की AI रोबोट या Star Trek: The Next Generation जैसी फिल्मों में नजर आए हैं. जिसका असल में कोई वजूद नहीं है.