'छोटे शहर बड़े सपने' में आज हम आपको सूरत के लोकल एंजेल इन्वेस्टर कश्यप पांड्या से मिलवाने जा रहे हैं. टियर 2 और टियर 3 शहरों में भी स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने में एक बड़ा योगदान लोकल एंजेल इन्वेस्टर्स का रहा है. एंजेल निवेशक अपना पैसा किसी कंपनी में निवेश करता है. अक्सर सूरत की पहचान डायमंड या टेक्सटाइल सिटी के रूप में होती है लेकिन अब इसकी पहचान स्टार्टअप सिटी के रूप में होती जा रही है. पांड्या का कहना है कि सूरत की पहचान डायमंड सिटी या टेक्सटाइल के रूप में है लेकिन सूरत के पास हजीरा जैसा इंडस्ट्रियल कॉम्पलेक्स भी है.
सूरत के इन्वेस्टर के साथ क्या रिस्क
पांड्या ने कहा ''सूरत के स्टार्टअप हमेशा एक रिस्क से गुजरते हैं लेकिन वे नए सेक्टर के साथ जुड़ने के लिए हमेशा तैयार हाते हैं. यही कारण है कि सूरत आज सोलर मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभरा है. पांड्या का कहना है कि सूरत के आंत्रप्रेन्योर का विकास करने का तरीका हमेशा रिस्क से जुड़ा होता है. स्टार्टअप एक नया सेक्टर है इसलिए आज कई लोकल आंत्रप्रेन्योर इससे जुड़ रहे हैं''.
उनका कहना है कि आंत्रप्रेन्योर आज नए बिजनेस आइडिया के साथ जुड़ रहे हैं. लेकिन सूरत के आंत्रप्रेन्योर भी वही समस्याओं का सामना कर रहे हैं जो बाकी शहरों के आंत्रप्रेन्योर फेस करते हैं. पांड्या का कहना है कि सूरत के आंत्रप्रेन्योर आइडिया से प्रोडक्ट डेवलप कर लेते हैं लेकिन उसके बाद की यात्रा में उन्हें मदद की जरूरत होती है और वहां वे चुनौतियों का सामना करते हैं. सूरत के स्टार्टअप को सबसे बड़ी मदद की जरूरत होती है कि कोई उनको गाइड कर सके.
इन्वेस्टर से कनेक्ट होना एक समस्या
पांड्या का कहना है कि सूरत के स्टार्टअप की एक बड़ी समस्या है इन्वेस्टर से कनेक्ट होना. ऐसे में बड़े इन्वेस्टर तो मिल जाते हैं लेकिन बड़े इन्वेस्टर या वेंचर फंड नही मिल पाते हैं. ऐसे इन्वेस्टर पैसे के अलावा भी स्टार्टअप की मदद कर सकते हैं. सूरत में ऐसे अच्छे इन्वेस्टर का एक्सेस थोड़ा मुश्किल हो जाता है.
पांड्या का कहना ''स्टार्टअप को एक और समस्या का सामना करने पड़ता है, वह है दृष्टिकोण का. अक्सर सवाल पूछा जाता है कि आप टेक स्टार्टअप हैं और सूरत से ? इस सवाल का जवाब देना मुश्किल हो जाता है क्योंकि सूरत की पहचान टेक हब के रूप में नही है. हम पुणे या बैंगलोर से नहीं आ रहे हैं. इसलिए कस्टमर का सवाल रहता है कि आप सूरत में रहकर क्या अच्छा प्रोडक्ट तैयार कर पाएंगे. इन्वेस्टर का भी कहना होता है कि क्या आपके पास सूरत में रहकर वो काबिलियत है जिससे आप सूरत में रहकर नेशनल लेवल की कंपनी बना सकें''.
सूरत की कंपनियां बना रही हैं पहचान
पांड्या का कहना है ''हालांकि सूरत की कुछ कंपनियों ने नेशनल लेवल पर अच्छी पहचान बनानी शुरू कर दी है. ऐसे में जब सफलता की कहानियां सामने आएंगी तो सूरत को लेकर लोगों की सोच बदलेगी. जिस तरह ई- कॉमर्स की पूरी ग्रोथ स्टोरी टियर 2, टियर 3 सिटी की रही है, उसी तरह स्टार्टअप के यूनिकॉर्न भी टियर 2 शहरों से आएंगे. उम्मीद है कि सूरत के स्टार्टअप भी इसी तरह की सफला पाएंगे.''